राजपूताने का इतिहास भाग 1 | Rajputane ka Itihas Bhag 1

Rajputane ka Itihas Bhag  1  by महामहोपाध्याय राय बहादुर पंडित गौरीशंकर हीराचन्द्र ओझा - Mahamahopadhyaya Rai Bahadur Pandit Gaurishankar Hirachand Ojha

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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उण् ( १) यद्यपि भारतवर्ष जैसे 'विस्तीयी देश का, जिसमें समय समय पर झनेक स्वतन्त्र राज्यों का उदय श्रौर झास्त होता रहा, म्टेसलावद' ' इतिहास नहीं मिलता, पर यह निर्विवाद सिद्ध है कि भाचीन काल में भार- .तवासी इतिहास के प्रेमी थे और समय समय पर पेतिदासिक श्रन्थ लिखते रद्दते थे । वैदिक सादित्य से. झार्य जाति की प्राचीन सभ्यता एच संस्कति के प्रत्यक अंग पर बहुत कुछ प्रकाश पता है श्र प्राचीन : झायोँ के रदन-सहन, उनकी कलाएं, उनके सामाजिक जीवन, धार्मिक भाव झादि झनेक. विषयों का विशद्‌ वर्णन उसमें मिलता है । चेदों में बार्णित सभ्यता का विस्तृत इतिहास लिखने का यदि यत्न किया जाय तो इसपर - निस्संदे कई बड़े बड़े श्रन्थ लिखे जा सकते हैं । यद्द वात निविवाद है' कि दमारे यहां मिन्न भिन्न समयों पर झनेक राज्यों का इतिहास संक्षेप से ः कथा! काव्यों में लिखा गया था श्रौर भिन्न भिन्न समय के राजाओं की वंश:बलियां तथा ऐतिहासिक घटनाएं लिखी जाती थीं। रामायण में रघु .बंश का और मद्दाभारत में कुरुबंश का विस्टत इतिहास है। इनके सिवा हिन्दू जाति के इन दोनों श्राद्श भ्रन्थों में तात्कालिक लोगों के धार्मिक, राजनैतिक श्रौर दाशैनिक विचार, रीति-रिवाज़, युद्ध शौर संधि के नियम, - ्यादूश पुरुषों के जीवनचरित्र, राजदरबारों के बर्युन, युद्ध की व्यूदरचनाएं तथा गीता के समान संसार-प्रसिद्ध उपदेश श्रादि मदुष्य जाति-संबन्धी प्राय: : सभी विषयों का समावेश है । ० स० के पूरे की चौथी शताव्दी में मौ्य॑बंशी सन्नाट्‌ चन्द्रयुप्त के मंत्री कौटिल्य ( चाणक्य, विष्णुणुप्त ) ने 'झर्थशाख््र' नामक उस समय की राज्यव्यवस्था का बड़ा श्रन्थ लिखा । उस में भले-बुरे मंत्रियों की परीक्षा, खुफिया पुलिस-विभाग, उसका उपयोग तथा प्रबन्ध; गु्तमन्त्रणा, दूतप्रयोग, 'राजकुमार-रक्षा, राज्य-प्रवन्ध, राजा का कत्तैव्य, झन्त:पुर (ज़नाना )का प्रबन्ध, ' भूमि के विभाग, डुर्गनिर्माण, राजकीय दिसाव का प्रबन्ध, ग़बन किये हुए घन ' को निकालना, कोश में रखने योग्य रत्नों की जांच, खानों की व्यवस्था, राज्य “कै सिन्न, भिन्न विभागों के झाध्यक्षों के कार्य, तोलमाप की जाँच, सेचा के




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