चंदन वन | Chandan Van

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Chandan Van by अमृतलाल नागर - Amritlal Nagar

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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जय दुश्य तीन बा जय सर यू आत्सो सर । नटराजन गाइड कहता था कि पक्षी तीथ मे हजारो सास से क्षेमकरी पक्षी का एक जोडा रोज आकर पहाडी पर बैठता है। लेक्नि एक पछी जो जाने कहा से उड़ता हु भा यहाँ आया था । हम दोनो ही एक साथ इतनी देर घूमे फिरे और अलग भी हो गये । मने उसका नाम तक न जाना कौन थी. कौन थी। फलम को खरखराहुट हूँ, फिर बया हुआ जय साहब ? फिर १३ माच सन्‌ ६१ में एक दोस्त की बरात मे लखनऊ गया था । क्या अजीब सथोग था. कि ठीव एक साल पहले महावलीपुरम्‌ में घूमते हुए मुझे अपने जीवन के अकेलेपन पर तरस आया था । वहा एक अनजान मिली भौर चली भी गयी और आाज लखनऊ मे अचानक उससे भेंट हो गयी। यह अकेला उदास रहने वाला पछी अपने मन के जोडे के साथ पण फैलाकर सारे दिन उड़ता रहा । आज मेरे जीवत में एक नया अनुभव साया है । लगता है अब मेरा जीवन ही घदल जायगा। शमिष्ठा याजिक शम्मी मेरी शम्मी दवा मेरी शम्मी एक बहुत ऊँचे परिवार की पढ़ी लिखी सुसस्कत युवती है। ससार्‌ प्रसिद्ध बैज्ञानिक डा० सर देवीशकर यानिक की इक्लौती लाइली कल से मेरे हिये का हार बनकर फूल रही है। नदो किनारे सूने घाट पर पास पास बठे हुए हम एक-दूसरे से अपना भन न छिपा सके । मं ने कहा चदनवने €.




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