प्रेम - दर्शन | Prem Darshan

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Book Image : प्रेम - दर्शन  - Prem Darshan

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He was great saint.He was co-founder Of GEETAPRESS Gorakhpur. Once He got Darshan of a Himalayan saint, who directed him to re stablish vadik sahitya. From that day he worked towards stablish Geeta press.
He was real vaishnava ,Great devoty of Sri Radha Krishna.

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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(१० होना, यद्द उनका खामाविक कार्य होता है । ऐसे महापुरुप मुर्त होनेपर भी मुक्त न होकर जगतमें जीवोंकि साय उनके यल्याणार्प विराजते हैं । यों तो इनका कार्य सदा टी अयाधितरूपसे चढता रहता है, परन्तु किसी खास भगबदबतारके समय इनका कार्य विशेषरूपसे बढ़ जाता है । इनका मंगठमय जीवन जगतके महान मंगठके लिये होता है । अविद्या, अद्वार, ममत्व, आसक्ति आदिले सर्वपा रदित थे महापुरुप यन्त्री मगवान्‌के हा्येमिं यन्त्रवत्‌ कार्य करते रहते हैं । इनके सारे कार्य भगवान्‌के ढी कार्य होते हैं । ऐसे दी महापुरुपोंमें देवर्पि नारदजी एक हैं । सभी युगेंमिं; सभी छोकॉपें, सभी काखोमें, सभी समाजोंमें और सभी कार्योमिं नारद्जी- का प्रवेश है । आप सत्ययुगम भी थे; त्रेता, द्वापरमे भी और इस घोर कठिकाऊमें भी, कहते हैं कि, अधिकारी भक्तींको आपके झुम दर्शन हुआ करते हैं । गोछोक, चैकुण्ठछोक, ब्रह्मछोक आदिसे छेकर तठ-अतठादि पाताठतक सर्वत्र आपका प्रवेश है । और योगबठस मन करते ही तुरन्त कहाँसे कहाँ पहुँच जाते हैं । बेद, स्थति, पुराण, संहिता, ज्योतिष, संगीत आदि सभी शालोमिं कप इषटिगोचर होते हैं । साध्हात्‌ भगवान्‌ विष्थ; शिव आदिसे ढेकर धोर राक्षसतक आपका सम्मान, विश्वास और आदर करते हैं । देवराज इन्द्र भी आपके बचनोंका आदर करते हैं, और देवशत्रु हिरण्यकशिपुकी पत्नी कयाधू भी आपकी बातपर विश्वास कर आपके आश्रममें अपनेको सुरक्षित समझती है । कहीं आप व्यास, वाल्मीकि, झुकदेव-सरीखे मदापुरुपोको परमंतस्वका उपदेश देते दिखायी देते हैं, तो कहीं दो पक्षीमें कलह और




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