प्रेम - दर्शन | Prem Darshan
श्रेणी : धार्मिक / Religious
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
2.77 MB
कुल पष्ठ :
212
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
He was great saint.He was co-founder Of GEETAPRESS Gorakhpur. Once He got Darshan of a Himalayan saint, who directed him to re stablish vadik sahitya. From that day he worked towards stablish Geeta press.
He was real vaishnava ,Great devoty of Sri Radha Krishna.
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)(१०
होना, यद्द उनका खामाविक कार्य होता है । ऐसे महापुरुप मुर्त
होनेपर भी मुक्त न होकर जगतमें जीवोंकि साय उनके यल्याणार्प
विराजते हैं । यों तो इनका कार्य सदा टी अयाधितरूपसे चढता
रहता है, परन्तु किसी खास भगबदबतारके समय इनका कार्य
विशेषरूपसे बढ़ जाता है । इनका मंगठमय जीवन जगतके
महान मंगठके लिये होता है । अविद्या, अद्वार, ममत्व, आसक्ति
आदिले सर्वपा रदित थे महापुरुप यन्त्री मगवान्के हा्येमिं यन्त्रवत्
कार्य करते रहते हैं । इनके सारे कार्य भगवान्के ढी कार्य होते हैं ।
ऐसे दी महापुरुपोंमें देवर्पि नारदजी एक हैं । सभी युगेंमिं; सभी
छोकॉपें, सभी काखोमें, सभी समाजोंमें और सभी कार्योमिं नारद्जी-
का प्रवेश है । आप सत्ययुगम भी थे; त्रेता, द्वापरमे भी और इस
घोर कठिकाऊमें भी, कहते हैं कि, अधिकारी भक्तींको आपके झुम
दर्शन हुआ करते हैं । गोछोक, चैकुण्ठछोक, ब्रह्मछोक आदिसे
छेकर तठ-अतठादि पाताठतक सर्वत्र आपका प्रवेश है । और
योगबठस मन करते ही तुरन्त कहाँसे कहाँ पहुँच जाते हैं ।
बेद, स्थति, पुराण, संहिता, ज्योतिष, संगीत आदि सभी शालोमिं
कप इषटिगोचर होते हैं । साध्हात् भगवान् विष्थ; शिव आदिसे
ढेकर धोर राक्षसतक आपका सम्मान, विश्वास और आदर
करते हैं । देवराज इन्द्र भी आपके बचनोंका आदर करते हैं,
और देवशत्रु हिरण्यकशिपुकी पत्नी कयाधू भी आपकी बातपर
विश्वास कर आपके आश्रममें अपनेको सुरक्षित समझती है । कहीं
आप व्यास, वाल्मीकि, झुकदेव-सरीखे मदापुरुपोको परमंतस्वका
उपदेश देते दिखायी देते हैं, तो कहीं दो पक्षीमें कलह और
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