पशु - आयु -विज्ञान | Pashu - Aayu - Vigyan
श्रेणी : विज्ञान / Science
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
28.65 MB
कुल पष्ठ :
877
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about डॉ. देवनारायण पाण्डेय - Devnarayan Pandey
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)ह इयसननतंप्र के रोग वर्दी के समूह वनाव ९ सतना अधिव बच्छा हूं । सुअर मे गदगी तथा उम हवादार अपर भगत सर्दी लगने दया वायूनली के अस्य रोगों वा प्रमुस बार्रण है 1 सर्दी-राग के जीवाणु-विज्ञान वा अभी तव बहुत ही थोडा शान हो सरा हू। शोग चोर छिटिठ (ठ0068 धएते 1५०) ने चछडो में पास्दुरत्ला भग्टोसिडा नाएग मीयणु वो इस रोग का कारण बताया 1. इन्कदूएजा छुनढी कठ इवासनप्रभाल चोच (एाक0ए30 पद्फुशणरकटासणिड) तवा गल प्रथिल रोग जेसी सामान्य छूपेछो बीमारियां मे साथ भी यहू रोग हुआ करता है। दत-झरण (ते०्णांणों दाता टी तंया दन कोदर पपेस्यित बोप (छाए00]87 एटा1050105) वे वाद मी सर्दी जुवाम होते देया गया हैं। हीपना चण्ठर्त से पीव बहना तथा वायु के अन्य दीप-हालिक रोग भी प्राय इस बीमाटी या कारण जनते है. मनुष्यों की भाति सभी सावधानियों के वाद भी पगुंओं में दम रोग मे घ्रकोप हुआ करते हूं।. पादायात ये बाद प्राय सभी जाहि वे पथुमा में यद रोग हुआ करता हूं । रूसण--धाँसना तथा नाक से स्राव गिरना इसके प्रमुख ठप्ण है।. पशु वर मुसार होता सथा वह सुस्त रहता हूं वेज श्वास प्रश्वात परघराहट की. आवाज तवा हाठते का गिरते जाना इमके अन्य लक्षण हूँ।. रठेप्सज सिल्लियों वे रक््तनवर्ग होने तया सुस्ती के गतिरिवत सामान्य उक्षण प्राय अनुपस्थित रहने है ययपि कि वछडो को. 109 से 105? फा० तक दुष्ार दो सऊता है. एक से तोन सप्ताह तब की इस रोम वी अवधि द्ोरी है। सभी रुकण संभाल होने के चाद ी पथ पॉसता रह साबता है+. ऐसा पा उन चीड में विशेषरर देखा जाता है जिनमें दि ठंड उनका गला पवड़ लेती है । गायों में सर्दी के प्रदीप यदावदा देखने की मिलते है जिसमें कि नयुनो से डॉरे की भाँति लटकता हुआ गाढा-गाड़ा रसंदार लाव वहता है ।. गाथ चारा खाना तथा दूध देना कम कर देती हूं। खासी न होकर उसया तापनम नार्मल हो सकता है। इन पणुनों में इस रोग की अवधि एक सप्ताह से लेकर दस दिन तव होती हूँ । प्रारम्भ से ही सर्दी रोग पर कर्म ध्यान नदी देना चाहिए वयोषि वछडों में यह निमोनिया लंयवा ऊणतार कमजोर यनाने वाली खासी जेसे उप्र छूतेठे रोगों का कारण बनता हूं 1. तपेदिव दमा तथा वायुतली के अन्य दी्े-कालिक रोगों के साध भी गौण रूप में घट्दू रोग हुआ वरता हूं। ठड़ लग जाना तीव्र निमोनिया का प्रारम्म भी इो सकता हूँ । आमतोर पर यहूं सकमण का सूचक हैं और बम उम्न के वछडों में इसकी उपस्यिति हुप्यथ का द्योतव हूँ।. डोर में सर्दी का भीपण प्रकोप दुदेम्य-नजछा की मद प्रकार से मिलता जुलता ही सकता हैं। घोड़ी में कुछ अनवित्त संभतणों के कारण सर्दी के प्रकोपो तथा दि जुकाम गल-ग्रथधिल राग अयवा स्थानिक कठ भ्रणाल दो। मेदी न दे शोथ के बीच विरमदी निदान कठिन हो जाता हू दिवित्सा--रोगी को ठड थपेड देते वाली हवाओं नमी गत्दमी तथा थक्तान से बचाकर ताजी वायु का सेवन कराना चिकित्सक का प्रथम उपचार होना पदि बहन ही शकीर्ण कक क त्सक का श्र पद्ु चारो घोर से बन्द गम वादे में बेँया हो तो उसे ऐसे बाद में पहुंचाना
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