एशिया का प्रादेशिक भूगोल | Asia ka Pradeshik Bhugol
श्रेणी : भूगोल / Geography
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
13.21 MB
कुल पष्ठ :
771
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)एशिया-उच्चादचन ६
शुश्चिया मड़ाद्रीप के दिणी-पश्चिमी एवं दलियी माग में त्यिव अरव तथा
समारत के प्रायद्वोपीय पठार उन प्राघोन चट्टानों के बने हुए हैं जिनका निर्माण पृथ्वी
की उत्पत्ति के साथ हुआ था । ये दिश्द के उन प्राचीन पढठारों में थे हैं जहाँ पर कोई
मी धरातलीप परिवर्तन नहीं हुआ है 1
एशिया महाद्वीप के उत्तर में स्थित विशाल उत्तरी मेंदान एक निचली
भूमि के रुप में है जहाँ आार्कटिक सागर के मिरट अ्यस्त मन्द दाल होने के कारण
अनेक दन्तदेल बने गये हैं । यह दिशाल निचली भूमि साइवेरिया के पमेंदानी मांग में
कसी हुई है मिसका निर्माण ओवी, यदीसी तथा सीना नदियों के बेमिनों से हुआ है
चिन्न-ारे
+ एक अन्य धरातसीय विशेषता एशिया महाद्वीप मे पूर्व एव दलिण-पूर्व में
ली हुई ट्रोपसमूह मामाएँ हूं । पूरे में जापान से लेकर दलिण-पृ्ठ में अनेक टीपससूद्
सासाएं फैली हुई हैं डिनयें अनेक छोटे-वड़े द्रोपो की रियति है भरेले फिलीपाइन
द्वीपसमूह में हो ७,००० से अधिक द्वीप विद्यमान है 1
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