भारत का आर्थिक भूगोल | Bharat Ka Arthik Bhugol

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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' मनुष्य श्र वातावरण [ ६ मैंदानों में ही है । अड़े-वड़े नगर भी मैंदानों में ही वसे होते हैं। उड़े-ड़े कारखाने मी रैदानों _ में ही स्थापित किए. जाते हैं । व समुद्री किनारे के निकट के मैदान मीतरी मैंदानों की अपेक्षा अधिक ़त्तम होते हैं । _ बहाँ और भी घनी श्राबादी हो जाती है. ] वहीं पर उन नन्दरगाह होते हैं. जहां से देश का सम्बन्ध तन देशों से रहता है | द मे भी हल के दियाँ--नदियों ने मिन-भिन्न ही के विकास में बहुत योग दिया है परन्ठ हर एक नदी से लाभ नहीं उठाया जा सकता । उत्तम नदी की यह पहचान है कि उसमें साल 'मर-पानी जमे नहीं, पानी की गहराई इतनी हो कि उसमें नावें चल सकें; उसमें पानी साल भर पहता रहे तथा नदी मैदान में वहे । इस प्रकार कीं नदियाँ ही उत्तम गिनी जातीं हैं । यदि सच पूछा जाय तो विश्व की सम्यता का जन्म ही नदियों की घाटियों या मैदान में हुद्ना । मिल की प्राचीन सभ्यता नील नदी के कारण ही है । चीन की सम्यता का विकास वहाँ की प्रमुख नदियों--हांगददो और यांगदिशीक्यांग--के मैदानों में हुआ । मास्त की प्राचीन प्म्यता का प्रादुर्भाव गज्ञा-सिंधु के मैदान में ही डुश्रा । - नदियों से सिंचाई करके खेती की जाती है । उत्तरी-मारत की चैशवार नदियों से नहरें निकाल कंर सिंचाई करने से ही होती है । नील नदी को “मिस्र का प्रसाद' तथा रिन्थु नदी को पाकित्तान का प्रसाद” इसी कारण कहा जाता है ।. नदियों में नावें चलती हैं. . ग्रेट ब्रिटेन, मर्मनी, फ्रांस तथा संयुक्तराष्ट्र अमेरिका में नदियाँ यातायात का मुख्य साघन हैं। .वहाँ यात्री : एक स्थान से दूसरे स्थान को नावों में वैठकर जाते हैं तथा माल्ल भी नदियों द्वारा दी ढोया शाता है। दुजला श्रौर फरात नदियाँ ईराक देशे का प्राण हैं। - क* ं ६. सिट्टी:--कंपि की उपज मिट्टी के उपलाऊपन पर ही निर्भर है । लम्वा-चौड़ा प्रदान किसी वा का नहीं यदि वहाँ की मिट्टी खराब हो ।. मिट्टी सीन प्रकार की होती है-- (की रेतीली--इसके कण यड़े-चड़े होते हैं जिनके कारण इसमें पानी शधिक समय तक नहीं ठदरता । (रा) चिकनी मिड्ी-इसके कण बहुत बारीक होने से पीषे की जड़े फैलने में केठिनाए होती है ।. (इ) हुमट पिट्टी--इसमें इन दोनों प्रकार की मिट्ियों का मिथ होता है । यह पिट्री सर्वोत्तम होती है।. गंगा के मैदान की मिट्टी दुमट है. अतः वहाँ अनेक प्रकार की पैदावार होती है । उपज्ञाऊ श्र नवीनतम मिट्टी के कारणा ही गंगा के ढेल्टे में पाद की ; खेती का एकाधिकार है । उपनाऊ प्रिट्टी के मैदान की आआदादी त्रहुत घनी होती है । न ७. जलवायुः--मनुष्प के जीवन पर जितना प्रमाव जलवायु का पड़ता है उतना / किसी झन्य बात का नहीं । थ्ादमी का खान-पान, वेश-भूपा, उद्योग-घन्वे श्यादि सभी जलवायु . से नियंत्रित होते हैं। का के . सार्म देश के निवासी सूती चस्त्र पड़नते हैं |. यही कारण है कि वहीं के कास्दानों में सूती वतन ाषिक बनेगा ।. यदि शीतोप्ण कटिबन्थ के कासवानों में सूती वस्न तेयार होता दे




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