श्रद्धाराम ग्रंथावली | Shradaram Granthavali

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Shradaram Granthavali by डॉ. सरनदास भनोट - Dr. Sarandas Bhanot

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about डॉ. सरनदास भनोट - Dr. Sarandas Bhanot

Add Infomation About. Dr. Sarandas Bhanot

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
द वदम वासाहिय के तिस रस गुण प्लवार में वार्तालाप बरता चाह तो उसके साथ वसा ही करते ये । ग्ाप हास्य रस सनोरजन-प्रिय परमान दो होने पर भी स्वयं गम्भीर सागर थे। याएबी जो रचना हारप रम पुर है दह् भी दशिकता से पूर्म है। दया हास्य तो वभी था हो नहीं। घापते सस्ता ड्न्दी, दजादी उदद मे जितने पुस्तक निर्माण फिये सतमे 'सतंयप में मुक्तावला नाम यह एक छोनी सी भजन पुस्तव भी है । रस भजन पुस्तव का दूसरा भाग कि जिसमें दिन राते वे समयानुसार बम से दया रोगों मे पचास भजन हैं, प्रथम रचा था भर र्वरलित प्ार्मचिक्त्सा' नामव पुस्तद के भ्रत मे लगाया धार कि जिसको सम्ददु १६रेप विज्म में पूज्य पड़ित जा मदाणाज के एवं दिप्य न छपगायषा भा 1 तदनातर सचत्‌ १६३२ में हिस्दू धर्म प्रकादाव' सभा तथा टिन्टू स्कूल लुधियाना, जिसके सम्यापक तथा सभापति पुज्यपाद पड़िते जी-महाराज स्वय थे, घार्थनानुसार मगलाचरण व ग्रारतो सहित साल भजन दा प्रथम भाग रता घोर प्रथर सुद्धित पचास मजना का टूसरा भाग नियत किया 1 उसी समय एक दराग्प- जनक चारहमास लिया दोना भाग के अस्त मे लगाया, झौर नाम सयधघभम मुक्ताबली रकदा, उसको उक्त हिन्द्र सभा ने हिदीपभ्रौरउटू में प्रकाशित किया ! यह भजन-पुस्तक जो सच्चिदावन्द परमात्मा के गुशानुवर्द से पूर्ण ग्रौर उच्च मनुष्य चर्म कई वर्सुन श्रुति-स्सृति वे धनुषर्ल करन से झद्वितोय तथा सच इमो-पुरुपों के स्मरण करने योग्य थी नत्शन नाथा हाथ ले गये गौर सींध् हो स्कूल वे लककों तथा प्रेमी अक्तो वे कठ हो गई, इसकी सोनप्रिय पझारतो देव- मद तथा समा-समाजों सजा विराजों और कत्तरोसर




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now