आधुनिक गुजराती कहानियाँ | Aadhunik Gujratee Kahaniyan

Aadhunik Gujratee Kahaniyan by जेठमल - Jethmal

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about जेठमल - Jethmal

Add Infomation AboutJethmal

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
सारा वातावरण मश्नीभाव का, अतराष्ट्रीय सदभाव का हो गया था । धीरे-धीरे सभी म स्वस्यतता आती गई । मलेशिया की एवं यात्री वहन बहने लगी “मैं तो कभी मी जापान के विमान में नही वैठती । पर मेरे पति हांगकाग म चल यसे थे ओर मैं मुई यूरोप म थी, यह एक ही पताइट मिलनी सभव थी, इसीलिए मैं इसम बैठी ।” “आपके पति के पास यह आपको जरूर पहुंचा देता 1 बदनसीबी कि बच गइ।” किसी ने बहा । और सब लोग हम पडे--याशी मी और वह वहन स्वय भी । केवल एवं युवती नही हसी और न ही घोली 1 एक कोने म वह खिन सी हुई खडी थी । और अमी तक मी कॉँप 'रदी थी । उसदे' चेहरे पर केवल आघात सक्वादशित था । उसका पति उसकी कमर मे हाथ डालकर उसे धघंय वधाता लग रहा था, पर उसकी संवेदना मे कुछ प्रभाव लगता न था। पकज उसके पास गया, कहा “अब वयो घवराती हैं * अब तो आप ठोम जमीन पर हैं ।” कुछ भी न समझती हो इस तरह वह पकज के सामने देखती रही । “कहा जा रहे थे ?” पकज मे पूछा । वह क्यो जवाब देने लगी ? पति ने वहा “हैदराबाद ।”” “ओह ! बहा ता आप शाम को पहुच जाएगे।” उस युवती की ओर बह फिर मुखातिव हुआ, “वहन, अब तनिक भी मत घवराइए , यह बम्वई है। और यह आपका ही घर है। अब दिसी को कुछ भी होने वाला नहीं ।” पर वह तो न हिली-डुली और न चली, न हमी और न वोली । 'बेचारी को वहुत शॉक लग गया है।” किसी ने कहा । * यॉक कँसे नहीं लगता, मौत को नजर के समक्ष देखा जो है?” हा, यह तो सही है ।” किसी ने कहा, फिर यह कहने वाला पकज की गोर घूमा “पंकज भाई, यहां हमारे बीच इतनी वातें हुई उनसे यह तो तय है दि मौत वे झण मे 15




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now