महाराणा प्रताप स्मृति ग्रन्थ | Maharana Pratap Smriti Granth

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Maharana Pratap Smriti Granth by देवीलाल पालीवाल - Devilal Paliwal

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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[ महाराणा प्रताप स्मृति-प्रस्थ [ सट् मुक्त यद जानकर हादिक प्रसन्नता हुई कि साहित्य-सस्थान राजस्थात-विद्यापीठ, उदयपुर में महाराणा प्रताप की सूर्ति के प्रनावरण के शुमावसर पर एक स्मृति-ग्रन्य प्रकाशित हो रहा है । मुझे श्राशा ही नढ़ी भपितु पूर्ण विश्वास है कि इस ग्रन्थ में उस युगपुरुष एवं स्वतन्त्रता» संग्राम के भ्रमर सेनानी के सिद्धांतों एवं उपर्लाब्घियों पर इस प्रकार से प्रकाश डाला जायगा कि भाने वाली पीडियों के लिए वे श्र।दर्श एवं श्रचुकरणीय होंगे ! महाराणा प्रताप ने सारतीय इतिहास के उस युग मे स्वतन्त्रता-संग्राम की वेदी मे श्रपनी श्राहति दी जिस समय विदेशियों ने मारत पर श्रपनी प्रभुसत्ता स्थापित करली थी श्रौर उनकी प्रभुसत्ता दावानल के समान फलती जा रही थी । महाराणा प्रताप ने उस बढती हुई ज्वाला को रोका ही नहीं वर उसको समाप्त करने का भी प्रयाप्त किया श्रौर उसमें काफी सफलता मी प्राप्त की । मैं उस युग-पुरुष को श्रपनी श्रद्धाजलि श्रपित करता हूं । मैं महाराणा प्रताप स्मृति-ग्रन्थ की सफलता की शुम कामना करता हूं । -उरामसुभग सिंद महाराणा प्रताप स्मृतति-प्रस्थ के विचार का स्वागत । योजना की सफलता के लिये शुम कामनाए | जातकर स्वाभिमान की रक्षा करना सरल है परन्तु हार कर भी श्रपते स्वाभिमान को बनाए रखना बड़ा कठिन है । महाराणा ने यह कठिन कार्य कर दिखाया । उनके सामने जो झुकता है उसका माथा ऊंची उठ जाता है। --ढा० हुरिवंदा राय बच्चन प्रात! स्मरणीय स्व० महाराणा प्रतापर्तिद्द की मूर्ति के उद्घाटन सम्बन्धी समाचार को पढ़कर बहुत हषें । उसकी पूर्ण सफलता के लिये मेरी दादिक विनम्र शुभकामनायें । वर्मा मदद जान कर बड़ी खुशी हुई है कि झाप महाराणा स्मृति-प्रम्थ प्रकाशित कर रहे हैं । महू ई बहुत श्रानत्द की बात है । मैं की सब प्रकार से सफलता च(हता हूँ । ः '--ढा० ए० चन्द्रद्वासन




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