भारतीय इतिहास की रुपरेखा | Bhartiya Itihas Ki Ruprekha

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Bhartiya Itihas Ki Ruprekha by महामहोपाध्याय राय बहादुर पंडित गौरीशंकर हीराचन्द्र ओझा - Mahamahopadhyaya Rai Bahadur Pandit Gaurishankar Hirachand Ojha

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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( र४ उस के ३०० सेनिकों को घेरे रखने के बावजूद अपनी पहली राजधानी को वापिस न ले सका था । प्राचीन भारत के समुचे इतिहास का सार और तख कैम्निज-इतिहास के विद्वान्‌ सस्पादक की इृष्टि सें सानो पाटलि- पुत्र पर दिमेन्र का वह घावा ही था ! वे झ्पनी गरेब्नान में मुह ढाल कर देखें श्रौर सोचें कि उन्हें उस एशिया-निवासी का लिखा हुआ युरोप का इतिहास केसा लगेगा जो उस इतिहास के ऊपर हलाकू खां मगोल का चित्र छापे, श्रौीर उस के दर्पण में वे भ्रपने इतिहास का स्वरूप देख दो ! उक्त दो इष्टान्तों को देख कर हमे यह हर्गिज न मान बेठना चाहिए कि सभी पाइचात्य विद्वानों की दृष्टि इसी प्रकार परपात से दूषित है | उन सें से अनेक की इप्टि शुद्ध वैज्ञानिक है; श्र भारतीय इतिहास के श्रध्ययन और खोज में उन्होंने जो निः्स्वार्थ एकाथ्र तत्परता दिखलाई है वह दसारो श्रद्धा की पात्र है। किन्तु अपने देश के इतिहास की फ़िक् हमें उन से श्रधिक होनी चाहिए; धर इस से सन्देहद नहीं कि झपने इतिहास की समस्याओं को हस उन से कही अच्छी तरह समक श्र सुख्का सकते है, यदि हम उन की श्रोर ध्यान दे । शरीर भारतवष का इतिहास सच कहे तो भारतीय साषाओओं में हो ठीक ठीक लिखा जा सकता है; हमारे प्राचीन जीवन की अनेक 'घारणायें ऐसी है जो विदेशी भाषाओं में ढीक प्रकट ही नही हो पाती | तो भी दुर्भाग्य से श्रभी तक शपने इतिहास की ओर हमारा बहुत कम ध्यान गया है । पिछुरो बीस-तीस बरस से बहुत से भारतीय पिद्ठानू झपने इतिहास के पुनरुद्धार से जुट गये हैं; तो भी उन की '्रधिकाश हतियाँ ंग्रेजी में निकलती हैं, जिस से हमारे देश की जनता को विशेष जा १डा० राघाकुमुद मुखर्जी ने यह कठिनाई भरुभवे की द् ही | दे० उन की लोकल गवर्न्मेशट इन ऐन्दयेंट इडिया ( प्राचीन भारत में स्पा य शासन ), श्रीक्सफ़ड, १९१९, प्रस्तावना पुर १४ |




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