चेतचन्द्रिका | Chetachandrika

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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। हद चेतचन्ट्रिका । दया |... नंद देत चकोर हितून को है खल को- कन को दुखवारो । कन्त है सन्त कुमोदन को कल चौदनी कित्ति महा सितभारो ॥ गोकुल सील सुधा सरसे बरसे सुख है अतिही उलि- | थारो । सन्द करे अरबिन्दन को जस चन्द सो | चेत मह्ौप तिहारों ॥ 9४ ॥ .... सोरठा । | उदे सूर सों भाल, सिँदुरघसो गनेस को. | | हरत बिघन को जाल, जो जगव्यापक तिमिर को॥ न अनन्वय लक्न । | उपसमा उपमेयत्व जे एक बस्तु मे होत.. । ! नियत न बर्न्य अवर्न्य को सा;नन्वय सुख सो त०६ ल लघा। सोइन के सन साइन को पढ़ि सोइनिमंत्र | को तंच ली हो । रुप को रासि समेटि सब | नख तें सिखलों ले लपेटि रही दही ॥ गोकुल को _ तुम सौ ब्रज मे तसनी तिय मे सिरताज कही हो। भागभरो खुमसी सुख सो उमसी सु- खमा तुम सी तुमद्दी हो ॥ ७७ ॥ कीकलाकमन््ल्‍स्‍ंतल्‍स्‍”शटिगिशएशसशटनटटसलएसशललशललललटललटलसलक्ललसलललललटसलसलललपलफपलिटिटटलफलननएएफिटरयलिफकयएसयकायुनाकयूनिप्नफिनफफकफलाधकानफाकपनलनफगककमन्यानय कपक




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