चेतचन्द्रिका | Chetachandrika
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
20.83 MB
कुल पष्ठ :
143
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)। हद चेतचन्ट्रिका ।
दया
|... नंद देत चकोर हितून को है खल को-
कन को दुखवारो । कन्त है सन्त कुमोदन को
कल चौदनी कित्ति महा सितभारो ॥ गोकुल
सील सुधा सरसे बरसे सुख है अतिही उलि-
| थारो । सन्द करे अरबिन्दन को जस चन्द सो
| चेत मह्ौप तिहारों ॥ 9४ ॥
.... सोरठा ।
| उदे सूर सों भाल, सिँदुरघसो गनेस को. |
| हरत बिघन को जाल, जो जगव्यापक तिमिर को॥
न अनन्वय लक्न ।
| उपसमा उपमेयत्व जे एक बस्तु मे होत.. ।
! नियत न बर्न्य अवर्न्य को सा;नन्वय सुख सो त०६
ल लघा।
सोइन के सन साइन को पढ़ि सोइनिमंत्र
| को तंच ली हो । रुप को रासि समेटि सब
| नख तें सिखलों ले लपेटि रही दही ॥ गोकुल को
_ तुम सौ ब्रज मे तसनी तिय मे सिरताज कही
हो। भागभरो खुमसी सुख सो उमसी सु-
खमा तुम सी तुमद्दी हो ॥ ७७ ॥
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