चारुचित्रा | Charuchitra
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
7.16 MB
कुल पष्ठ :
181
श्रेणी :
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)18 / चारुचिबा'
“कहिए-कहिए ? ”
डा “उस दिन कमल बाबू ने जो रुपये देने को वचल दिया था, क्या वे प्राप्त हो
ष्बु ग ही
“अभी तो नहीं, किन्तु शायद दो-्वार दिन में प्राप्त हो जायें । ऐसे रुपयों के लिए
तंकाजा करना भी तो उचित नहीं मालूम होता ।”
“बात तो ठीक है किन्तु अनुभव यह बताता है कि रईस लोग प्राय: नाम लूटने
के लिए ऐसे अवसर का लाभ उठा जाते हैं। यदि' हमने ढ्वील डाली, तो लोढ़ाराम
कनौडिया के रुपयों की तरह यह भी बस मिलते ही रहेंगे ।”
ग् हाँ, ठीक है आपका कहना, मैं अवसर निकालकर जल्द ही जाऊँगी उनके
यहाँ ।””
“हाँ, अवबय जाना । बात यह है कि रुपए ही सौ काम निकालते हैं । अपने
विद्यालय के फण्ड में रुपया' जमा रहेगा, तो अच्छा रहेगा ।”
“अच्छा तो होगा ही । मुझे आपसे' एक बात पुछनी थी ।”
स्क्या ?*”
“सुना है नलिनी ने नृत्य को कक्षा से नाम कटवा लिया है ।”
“मुझे नहीं मालूम । आपको किसने बताया ? ”
“पेरे यहाँ नलिनी की 'छोटी शर्त वीणा आई थी । उसी ने कहां कि माँ दीदी
का नम आपके महाविद्यालथ से कटवा रही है ।”
“बहू तो बड़ी अच्छी लड़की थी । नृत्य में बहु प्रदीण निकले सकती थी । किसी
दिन विद्यालय का नाम रोशन करती ।”'
“हाँ. यह तो था' ही | किन्तु उसकी माँ चाहती थी कि नलिनी साल भर मे ही
विशारद कहलाने लगे । वीणा कहती थी कि वार्धिकोर्सव में पदूमा को पुरस्कार दिया
गया किन्तु दीदी को नहीं । भला पदमा और नलिनी का क्या साम्य ? वह नृत्य के
चौथे वर्ष में है और नलिनी झभी दूसरे वर्ष में ।”
“यदि ऐसे संकीर्ण मनीभाव के पीछे नलिनी का नाम कटवाया गया है, तो
उसकी माँ ने बड़ी भुल की है ।”
“मालूम होता है, नलिनी की साँ अधिक पढ़ी-लिखी नददीं है, नहीं तो बह ऐसी
दूषित भावना की' शिकार न होतीं 1”
“कुछ भी हो, यह बुरा हुआ । किस्तु ऐसे लोगों के लिए विद्यालय का स्तर नहीं
गिराया जा सकता और फिर प्रतियोगिता के समय निर्णायक समिति के काये में कौन
हस्तक्षेप कर सकता' था ?
मैं आपसे सहमत हूं। कला को उचित रूप से जिसे भी' सीखना है, उसे
विद्यालभ पर विश्वास करके 'बलता पड़ेगा ।
“निश्चय ही । अच्छा, अब मैं चलता हूँ, शर्सा जी की अब आप ही विद्यालय में
बनाये रखने का दायित्व रखेंगी क्योंकि अच्छे कलाकार कठिनाई सें ही कहीं ठहरते है +
और हाँ कमल बाघू से मिझना भी
User Reviews
No Reviews | Add Yours...