श्री अरविन्द और उनका योग | Shri Arvind Aur Unka Yog
श्रेणी : योग / Yoga
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
2.27 MB
कुल पष्ठ :
100
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)श्रीअरविन्द-चरित
इसका प्रयोग कांग्रेसके वार्षिक अधिवेगनसे विघयनिर्वाचिनी
ससितिकी गुप्त बैठकॉंकी आड़से माडरेटदलके नेताओँसे
अर्किंचित्कर मुठभेड़ौके सिवा और किसी बातमे न हों
पाता था । श्रीअरविन्दने इस दलके नेताओकों उभारा कि
वे खुछमखुछा एक निश्चित और ललकारनेवाले काय-
क्रमके साथ मैदानमे आवें और महाराष्ट्रके छोकप्रिय नेता
तिलककों लोकनायक मानकर अखिल भारतीय दल कायम
करके; पुराने राजनीतिशोके प्रवछ बनकर बेठे हुए माडरेट-
दल नामी गुरपर आक्रमण करें और कांग्रेस और देशपर
अपना अधिकार जमावें । माडरेटद्लवालो और राष्ट्रीय
दलवालों ( जिन्हें उनके विरोधी गरम दलवाले कहा करते
थे उन-) के वीच जो इतिहासप्रसिद्ध संघष्ष हुआ उसका
यही मूल है । उसीसे दो वर्षके भीतर भारतीय राजनीतिक
उद्योगका स्वरूप सवथा बदल गया |
नवजात राष्ट्रीय दलने देशके सामने स्वराज्य ( स्वाधी-
नता ) को ध्येय रखा जहाँ पहले शासन-सुधारकी मन्द
गतिसे सो दो सो वषमें कभी किसी दिन पूरी होनेवाली
ओपनिवेशिक स्व॒राज्यकी मन्द-सी सादा दी केवल;
माडरेटॉके ( नरम दके ) सामने थी ।
इसी समय “वन्दे मातरमू” नामक दैनिक पत्र स्थापित
हुआ जिसके सम्पादक श्रीअरविन्द थे और श्रीअरविन्दके
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