सूरदास जीवन और काव्य का अध्ययन | Surdas Jeevan Aur Kavya Ka Adhyan

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Book Image : सूरदास जीवन और काव्य का अध्ययन  - Surdas Jeevan Aur Kavya Ka Adhyan

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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सूरदास १ जीवनी सूरदास का जीवन दस भी शान्प भक्त कवियों की भांति उनके सादास्म्य को प्रदर्शित करने चाली विविभ ग्नुशुत्तियों से शाच्छादित है । मत्ययुग विशेष रुप ने चमत्कार पा सुग था। उस युग का सरल विश्वासी जन-समाज थ्रपने लोकप्रिय व्यक्तियं की रपृति चिरस्थायी रखने के लिए सहज ही ऐसी रोचक फथाय्ों की रचना कर लेता था जिनमे मनुष्य की फिंसी आध्यात्मिक प्रगति का श्रालकारिक शैनी में उदुवादन करने के उद्देश्य से पायिंव इति- दृत्त को फेचल द्ानुगगिफ रूप में ग्रहण फिया जाता है । इस प्रकार के श्राख्यानों की परपरा हमारे देश में श्रत्यत्त प्राचीन काल से चली द्याती है । महाभारत दौर पुराण प्रायः उसी परपरा के प्रमाण हैं । वस्तुतः प्राचीनों ० के समत्त जीवन के रदस्यी का उद्घाटन ही चरम उद्देश्य था । परतु हमारी भावना-प्रघान प्रकृति श्रौर फल्पना-प्रधान सचि ने रददस्यों को अधिकाधिक रदस्पमय चना कर द्ाधुनिक द्न्वेपक्कके लिए दुरविगम्य समस्याएँ पैदा कर दी हैं । श्राज जब दम श्रपने प्राचीन भक्त कवियों के.जीवन वृत्त संग्रह करने लगते हैं तब्र अनुशरुतियों के जजाल में से श्राघुनिक अर्थ में इतिहास- - सम्मत तथ्यों को निकालना कठिन हो जाता है । सूरदास के सबध में अन्य भक्त कवियों की श्रपेक्षा एक श्रौर कठिनाई सामने अाती है । हमारे भक्त कवि का लोकमत थे विलच्याण रूप में आ्रादर किया है । वह किसी भी चत्तु- विहीन गायक को निस्सकोच सूर और सूरदास के नाम से प्रसिद्ध कर देता है । इस प्रकार के कितने ही प्राचीन सूरदासों के चरित हमारे सूरदास के साथ मिश्रित हो गए होंगे । इस परिस्थिति में महाकवि सूरदास का प्रामाणिक चत्त एकच्र करने में बहुत सावधानी की झ्ावश्यकता है। झागामी प्रष्ठों में उस समस्त सामग्री का बिवेचन किया गया है जो सूरदास की जीवनी. के श्रध्ययन में प्रयुक्त की जा सकती है। जैसा कि स्पष्ट होगा इस सामग्री में




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