राजस्थानी - वीर - गीत - संग्रह भाग - २ | Rajasthani-veer-geet-sangrah Part-ii

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Rajasthani-veer-geet-sangrah Part-ii  by फतहसिंह - Fathasingh

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about फतह सिंह - Fatah Singh

Add Infomation AboutFatah Singh

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
राजस्थानी वीरगीत-संग्रह ' सोग २ १. गीत ठांकर सुरतसिहू चहुवांण रो '. तैडा जोंवसी रे खद श्राज.तमासो, पैडां रोप खड़ा जुद्ध पर्गा । : « भ्रेंडा . बोलणहार .श्रनस्मी,,. बेंडा जाग ज्रम्बागठ बग्गा ॥१॥॥ भालां कर अ्चलला भारथ, समकां बागी सोक सरग्गां। : . फक्रीक ऊडांण दिये रण भक्ाला, काछा बावछ खाग करग्गां 11२॥ राई फौज चाल तो ऊपर, रे.जसबोल सबोछ रहलला । की साहे दढां मछरीक हमे श्रम, गाहै दढठां खग बोह गहल्ला ॥ ३ . वीर विच्चखण क्रीत तणी वर, ढाहण खाग श्रारिंदा दूकौ । नाथ तणी सुरतेंस नूभ नर, “चित्त ठीक नहीं कुछ रीत न चुकी ॥ ४॥ जेज न कीध ऊंतावढछ जुटौ,. बावठ . फौजां ही थाट विभाड़े । आयौं काम महि थट ऊपर, चावठ वंस चुहाणां चाडे ॥ ४0) गोतसार-गीतकार ने ऊपर-लिखित गीत में सुरतरसिह्ह नामक चौहान वंज्ीय योद्धा का युद्ध-वणुन किया है । सुरतसिंह:चित्तश्रमता. की व्याघि से -श्रस्वस्थ रहता था। किन्तु धत्रुत्ों के झा. जाने पर उसने उनसे दस्त्र-बजा कर श्रपने कुल-घर्मं का पालन कर वीर- गति प्राप्त की । कर्वि उसे सचेत करते हुए कहता है कि हे ध्रंड-बंड बोलने वाले वीर / 'सुरतसिंह'! युद्ध-वाद्य बज रहे हैं । उठ, जाग श्रौर युद्धाथं पैर रोप. कर डठ जा श्रौर _ .हात्र को रंग्प क्रोड़ा का कौशल दिखा । - श्, तैडा.- तेरा.1: जोवसी - देखेंगे। ख - वैरी । तमासो > खेल । पैंडा > मार्ग । घ्रंडा - झंडबंड,:प्रलशप । बोलणहार - नोलने वाले । श्रतस्मी - श्रनस्र, वीर, किसी . 'के बंधन को न सहने. वाला । ' - बडा - पागल, चितश्रम ।. घम्बागछ - तांवे के पेंदे ' के नंगाड़े । बग्गा > बजने लगे । द ,'कुर - फकुटिल, दुष्ट । , श्रचलला - धविचल, श्रडिग 1 , भारथ - युद्ध । . समखां - -.. ' चिल्हादि पक्षियों, देवी ।. बागी - हुई, बजी । सोक - ध्वनि । सरग्गां - दरावलि : की, स्वगं की श्रोर + क्ींक ० शास्त्रों की झड़ी । उडांगा -. उड़ाने को। शाला - हाथ -का.संकेत-। कांठा - वीर। बावछ - पागल, उन्मत्त। खाग - खड्ग । करग्गॉ-हाथों । ८ चाल -.चलकर, प्रस्थान कर ।. तो ऊपर - तेरे पर । . जसबोल - यश के वचन । रंहल्ला.- रहेंगे । -- मछरीक - श्वहुवान,।. हमे - श्रव ।.. गाहै - विलोड़न कर । चाहें. चलाक़र । 'गहत्ला.- पागल, कीतिकथा । ; ' जेंज >.विंलम्ब । कीघ --की 1. ऊंतावछ, - शीघ्रता से, तत्काल ।, जुटी > भिड़ तगयात : बावड़ - पागल । थाट - समूह ।. विभाड़ें- संहार करे । श्रायो काम- ' 7... काम झायो, मारा गया ।. चाईे:- चढ़ाकर ।




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now