भामिनी - विलास | Bhamini Vilas

Bhamini Vilas by महावीर प्रसाद द्विवेदी - Mahavir Prasad Dwivedi

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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भूमिका । (९९) दिये । खेद का विषय है कि ऐसा पंडितराज राजीतढक पनवनीतकोमलांगी में लीन हो जाय । पगमाला नामक सुंबईकी मासिक पुस्तकें इस कांवेके रे सिने अंथोंके नाम लिखे हैं। रस गंगाधर ८ अमृत छहरी यमुना वर्णन चम्पू ९. सुधाठहरी रतिमन्मथ नाटक १० करुणा लहरी वसुमती परिणय नाटक ११ लक्ष्मी लहरी जगदाभरण काव्य २२ भामिनी विछास प्राणाभरण काव्य १३ मनोरमा कुच मदन ७ पीयूषछहरी १४ अश्वधारी काव्य. पंडित लक्ष्मण रामचन्द्र वैद्यने जिसका उल्लेख किया हैं. उस आसफ विठास का नाम उपरोक्त पुस्तकमालिकामे नहीं बस । अमान होता हैं कि काव्यमालाकारकों वह उपलब्ध हहीं हुआ । . लगदाभरणमें शाहजहांके पुत्र दारादिकोहका वर्णन है और प्रा- पभरणमे कामरूपेदशक राजा घाण नारायणकी यथा प्रद॑सा है जिसे जगन्नाथरायने कामरूपदेशकी काव्यकों श्रवण करके प्रसन्न होकर निमोण किया था । पीयूष असृत सुधा करुणा और लक्ष्मीठहरीमें क्रमसे गंगा यमुना सूय विष्ण और लक्ष्मीका स्तवन है । अश्वघारीमें रामनामक अपने पौचकों सदुपदेश किया है । यमुनावणन चंपू रतिमन्मथ नाटक वसुमतीपरिणय नाटक और मनोरमाडुचमदेन मेरे अवलोकनमें नहीं आये । प्रस्तुत कविके अंथोमिं रसगंगाधघर नामक .सागित्यका यंथ सिथनीय है। यह इस्तछिखितही देखनेमें आता था परेतु अब पुद्धित दो.गया है इस म्रंथकों पंडितराजने बड़ी चातुयंता और पुक्तिसे -गदयपयमय निमाण किया है । इसमें समस्त . विषयक ्




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