तुलसी साहिब हाथरस वाले की शब्दावली और जीवन चरित्र भाग १ | Tulsi Sahib Hathras Vale Ki Shabdavli Aur Jivan Charitr Bhag Ii

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Tulsi Sahib Hathras Vale Ki Shabdavli Aur Jivan Charitr Bhag Ii by अज्ञात - Unknown

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about अज्ञात - Unknown

Add Infomation AboutUnknown

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
रेखता दाप्त तुलसी निरबान पद निरखि के । छाड़िया राह घर अघर माही ॥ (६) चौदही तबक किताब कूरान में । पीर चौबीस पुनि वोहू गावा ॥ अल्ञा रचि खेल सब जहदान, झालम किया । ाव और ताब पट झबर आवा ॥ सरा' का खेल मुहम्मद से कर कहे । यही घिधि तुरक तकरीर लावा ॥ जैन मत माहिं गुनिष्ठान चोदह कहे । बिधि भगवान चोबीस गावा ॥ रिषबजी रचन संसार की थापना । आपने मते की वोहू लावा ॥ बेद पुरान संसार बाम्दन कहे । भागवत भगवान चौबीस गावा ॥ चतुरदूस लोक लीला बरनन करे । रचा बेराठ जग बिधि बनावा ॥ झूठ ओर साँच कहो कौन की कीजिये । हिंद और तुरक पढ़ि भूल पावा ॥ जैन सोइई जिंद बुँद झादि को ना लखा । तीन में किनहूँ नहिं चीन्हि पावा ॥ दास तुलसी कहे अगम घर झघर हे । द्‌ ७ € संत बिन भेद नहिं हाथ आावा ॥ १० ड (९०) ._ अगम की लहर सुख सहर हुसियार हो । . मिहर बिच कहर दिल दूर जावे ॥ र्‌ न नस्ममसलमान को सजदकी किताब शशरचप -- सुसलमानों को सजहवी किताब । फा दे




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now