राम चन्द्रिका | Ram Chandrika

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Ram Chandrika by पुरुषोत्तमदास भार्गव - Purushottam Das Bhargav

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about पुरुषोत्तमदास भार्गव - Purushottam Das Bhargav

Add Infomation AboutPurushottam Das Bhargav

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
र् रामचन्दिका की कथावस्तु पहिला प्रकाश दोहा :--यहि पहले परकाश में, मंगल चरण विशेष | श्रन्यारंभ रु आदि की, कथा लददई्िं बुध लेख | अ्रन्थारंभ में गणेश वन्दना, सरस्वती वन्दना के उपरान्त कवि ने श्रीराम वन्दना की है । वंश परिचय एवं अंथ रचना काल देने के उपरान्त श्रन्थरचना के'कारण उल्लिखित हैं; इस प्रकार प्रस्तावना समाप्त करके कथारंभ किया गया है। सू्यवंश के शिसो- मणि राजा दशरथ के चार पुत्र हुए--राम, लदमण, भरत और शंत्रुन्न । सरयू नदी के किनारे, 'झवधपुरी है वहाँ विश्वामित्र का व्मागमन हुआ । सरयू नदी का वर्णन, राजा दशरथ के हाथियों का वर्णन, वाटिका वर्णन, अवधपुरी का वर्णन करते हुए विश्वासित्र जी राजा.दशरथ के दरबार में पहुँचे । दूसरा श्रकाश दोहा पनया द्वितीय परकाश में, मुनि आगमन प्रकास | राज सो रचना वचन, राघव चलन विलास ॥ राजसभा में विश्वामित्र के प्रवेश करते ही चारण ने प्रशस्ति- वाचन किया | राजा दशरथ के वैभव को देखकर मुनि विश्वासित्र न्वमर्क्त हुए । राजा दशरथ ने अभ्यर्थना करके उनके आगमन का कारण पूछा । विश्वामित्र ने यज्ञ-रक्षा के हेतु राजकुमारों की याचना की । राजा दशरथ ने चालकों की अल्पवयस्कता को प्रकट करते हुए यज्ञरक्षण के हेतु ससैन्य स्वयं चलने की इच्छा प्रकट' की, इस पर विश्वासित्न को क्रोधित देखकर वशिष्ठ जी ने




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now