राम चन्द्रिका | Ram Chandrika

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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र् रामचन्दिका की कथावस्तु पहिला प्रकाश दोहा :--यहि पहले परकाश में, मंगल चरण विशेष | श्रन्यारंभ रु आदि की, कथा लददई्िं बुध लेख | अ्रन्थारंभ में गणेश वन्दना, सरस्वती वन्दना के उपरान्त कवि ने श्रीराम वन्दना की है । वंश परिचय एवं अंथ रचना काल देने के उपरान्त श्रन्थरचना के'कारण उल्लिखित हैं; इस प्रकार प्रस्तावना समाप्त करके कथारंभ किया गया है। सू्यवंश के शिसो- मणि राजा दशरथ के चार पुत्र हुए--राम, लदमण, भरत और शंत्रुन्न । सरयू नदी के किनारे, 'झवधपुरी है वहाँ विश्वामित्र का व्मागमन हुआ । सरयू नदी का वर्णन, राजा दशरथ के हाथियों का वर्णन, वाटिका वर्णन, अवधपुरी का वर्णन करते हुए विश्वासित्र जी राजा.दशरथ के दरबार में पहुँचे । दूसरा श्रकाश दोहा पनया द्वितीय परकाश में, मुनि आगमन प्रकास | राज सो रचना वचन, राघव चलन विलास ॥ राजसभा में विश्वामित्र के प्रवेश करते ही चारण ने प्रशस्ति- वाचन किया | राजा दशरथ के वैभव को देखकर मुनि विश्वासित्र न्वमर्क्त हुए । राजा दशरथ ने अभ्यर्थना करके उनके आगमन का कारण पूछा । विश्वामित्र ने यज्ञ-रक्षा के हेतु राजकुमारों की याचना की । राजा दशरथ ने चालकों की अल्पवयस्कता को प्रकट करते हुए यज्ञरक्षण के हेतु ससैन्य स्वयं चलने की इच्छा प्रकट' की, इस पर विश्वासित्न को क्रोधित देखकर वशिष्ठ जी ने




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