प्राचीन भारत वर्ष की सभ्यता का इतिहास भाग - 3 | Prachin Bharat Ki Sabyata Ka Itihas Vol-3

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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श्र] चन्द्रगुप्त घोर श्रशेक [१३ झौर श्रपनी भक्ति में झतकता शोर सचाई रख सकते हैं; शोर यही प्रंसनीय है । सुचना ८ प्राचीन समय में राजा लोग झहेर खेलने जाया करते थे, यहां इस भूमि के बीचे वे भ्रपने जी बहाने के हिये शिकार तथा झन्य प्रकार के खेल करते थे । मैं, देवताशो के प्रिय राजा पियद्सी, ने झपने राज्यामिषेक के १० वो के उपरान्त सत्य ज्ञान का प्राप्त किया । झतणव मेरे जी वहलाने के कार ये हैं झार्थात्‌ ब्राह्मण और श्रामनों से मंद करना श्र उनके दान देना, दृद्ो से शेट करना, द्रव्य बांटना, राज्य में प्रजा से भेंट करना, उन्हें धार्मिक शिक्षा देवी श्र धार्मिक विषयों पर सम्सतिं देनी । इस प्रकार देवताझ्नो का प्रिय राजा पियद्सी झ्रपने भले कमों से उत्पन्न हुए खुख का मागता है। सुचना ६ देवताद्यो का प्रिय राजा पियद्सी इस प्रकार देला ! सांग बीमारी में, पुत्र वा कन्या के विवाह में, पुत्र के जत्म पर, शोर यात्रा में जाने के समय भिन्न २ प्रकार के विधान करते है । इन झवसरों तथा ऐसेही श्रस्य शवसरों पर लोग भिन्न २ विधान करते हैं। परन्तु ये झसंख्य शोर भिन्न प्रकार के विधान हिन्हें कि अधिकांश लोग करते है, व्यर्थ श्रोर निरथंक हैं । परन्तु इन सब सीतियें के करने की चाल बहुत दिनें से चली थाती है, यद्यपि उनका फाई फल नहीं होता । परन्तु इसके बिरुद्द धमं काय्ये करना बहुत ही श्रधिक यश की बात है । गुलामों श्र बैकरों पर यथाचित ध्यान रखना, श्र सम्बन्धियों तथा शिक्तकों का सत्कार करना प्रशंसनीय है । जीवों पर दया ओर ब्राह्मण तथा 'श्रामनों के दान देना




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