रूसी व्याकरण की संक्षिप्त व्याख्या | Rusi Vyakaran Ki Sankshipt Vyakhya

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Rusi Vyakaran Ki Sankshipt Vyakhya by केसरी नारायण शुक्ल - Kesari Narayan Shukl

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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नहीं है (कतिपय भापाशं में ऐसे व्यजन होते है ) । झघोष पा के समानान्तर चोप ध्वनि है दीर्घ ( दोहरी ) कोमल ( इसके विषय में ऊपर कहा जा चुका है)। किन्तु इसके लिए जैसा कि पहले कहा जा चुका है रूसी लिपि मे कोई विेष वर्ण नहीं है इसे कफ के समान या 3# रूप में व्यक्त किया जाता है उदाहरणत जाफकणाए७ छप्तआपाफ। गे 0 शा कह में के समानान्तर अघोप ध्वनिया नहीं है। इनमे से ण 0 ७ प् स्वनत (अर्थात ध्वन्यात्मक ) व्यंजन कहे जति है। सभी स्वनत व्यजनों की यह विशेषता है कि इनके उच्चारण में बाहर निकलनेवाली हवा के लिए रुकावट ( जो सभी श्रन्य व्यजनो के उच्चारण में होती है) के साथ रुकावट के इर्द-गिर्द या मुख-विवर या नासिका-विवर में हुवा के लिए स्वतत्र मागे होता है स्वनत व्यजन जिनके उच्चारण में हुवा के लिए मुख-विवर में स्वतत्र मार्ग होता हैं तरल (द्रव ) कहलाते है। गम भौर 9 उनसे सवबधित है। म के उच्चारण में जीभ का एक पक्ष नीचे गिर जाता है और हवा इसी से गूजरती है। 9 के उच्चारण में जीभ की नोक कापती है श्ौर या तो श्रग्र तालु को छूती है ( ऊपरी मसूडे पर ) और या तो उससे हुवा के लिए स्वतन्र माग॑ खोलती हुई उससे अलग हो जाती है। स्वनंत व्यंजन जिनके उच्चारण में तालुयवनिका नीचे को लटक जाती है पर वाहर निकलनेवाली हवा के लिए नासिका-विवर से स्वतत्र मा्गे बनाती है झनुनासिक कहे जाते है। स्‍ श्ौर # इनसे सबधित है स्पा संघर्षी श्र मिलित व्यंजन स्कावट बनाने के ढग के अनुसार सभी व्यजन स्पशं सघर्षी और सिलित व्यजनो में विभक्‍त किए जाते है। स्पर्ण व्यंजन के उच्चारण में (ए 7 ४ श्ौर दूसरे) रुकावट की रचना में भाग लेनेबाले श्रवयव (ओठ जीभ श्रौर दात जीभ और तालु ) पूरे पुरे वद हो जाते है। फेफडो से निकलनेवाली हवा इन वद श्रवयवों को बविस्फारित करती हुई (वीच से तेजी से फाडइती हुई ) निकलती है ( जैसे कि रुकावट का स्फोट करती हुई )। स्पर्श व्यजनो का उन्वारण सहसा होता है। उनको ताना या बढाया नहीं जा सकता 1] संघर्पी (४ ८ दे और दूसरे) व्यजनों के उच्चारण में रुकावट की रचना में भाग लेनेवाले अवयव (शोठ श्रौर दात जीभ श्रौर दांत जीम और तालु ) केवल निकट श्राते है और उनके वीच सकीणें दरार रह जाती है। हवा इसी 2--2बा 4




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