शीघ्र बोध भाग - १७ | Sheeghr Bodh Bhag - 17
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
15.74 MB
कुल पष्ठ :
530
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)१
११ एक साधु दुसरे साधुपर आक्षेप ( करके : १४७
१२ मुनि क्रामेंपीडत हो संसारमे जावे, १४७
१३ निरापेक्षी साधुकों सवल्पकालमे भी पड़... श४८४
१४ परिहार तप बाला मुनि ,.... रुप
१७, गण ( गच्छ ) घारणकर नेवाले मुनि २५७६०
१६ तीन बर्षीके दी क्षित अखंडाचारीकों उ पाध्या यपणा १५१
१७ आठ वर्षोंके दी क्षित ,. आचायेपद १९
१८ एकदिनके दिश्ितकों आचायेपद १८२
१९ गच्छवासी तरुण साधु १८३
२० घेश में अत्याचार करने चालकों १७३
२१ कामपिडित गच्छ त्याग अत्याज्ञारकरे १८३
२२ बहुधुतिकारणात् मायासृपाबाद बोले तो ८७
२३ आचायें तथा साधुवोंक्रो विहार तथा रहना... १५६
२४ साधुवोंको पद्धि देना तथा छोडाना, १५७
२५. लघुदीक्षा वडी दिक्षा देनेका काल २६०
२६ ज्ञाभाभ्यासके निमत्त पर गच्छमे ज्ञाना १६१
२७ मुनि घिहारमें आचायेक्ि आज्ञा श्दश
२८ लघु गुरु दोके रहना १
२९ साध्वीयोंको विद्दार करनेका ६४
३० साध्वीयोंके पश्चिदेना तथा छोडाना १६५,
३१ साधू साध्वीयों पढाहुवा ज्ञान विस्मूत दो ज्ञावे १६
३२ स्थवीरोंको ज्ञानाभ्यासे १६७
३३ साधु साध्यीयों कि आलोचना ६८
३४ साधु साध्वीयोंकों सप काट जावे तो श्द्८
३५, मुनि संसारी न्यातीलोंके बहांगोचरी ज्ञाघे तो १६९
हद जशञात या अज्ञात मुनियोंके रहने याग्य १७१
रे9 अन्यगच्छसे आइ हुई साध्वी कट
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