सफलता का रहस्य | Safalta Ka Rahasya

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Safalta Ka Rahasya by ठाकुर शिव नाथ सिंह - Thakur Shiv Nath Singh

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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किन्नर. नि ध्डु कहा जा सकता । चहद स्वयं झनुसवसे कह सकता है कि उसका जीवन फलीभ्रूत नहीं इुआ । बदुतसे लोग-वे लोग जिनके पास द्रव्य नहीं है यह सांचते हैं कि जब दम लोगोकों घन प्राप्त हो जायगा तो सफलता भी प्राप्त हो जायगी । परन्तु फिर भी सफलता वह चस्तु है जो उससे कहीं सिन्न और बढ़कर है । है... ५ *मचुष्यका जीवन सफल तभी कहा जा सकता है जब वह अपने अन्तःकरण तथा बुद्धिके भदेशाजुसार झापना आचरण बनाता है । एक सफल मनुष्य, सम्भव है, धनी नहों अथवा उसे किसी प्रकारकी ख्याति भी न प्राप्त हो, परन्तु यदि चह बुद्धिमानीसे रद्दता है, थदि उसने जीवनके समस्त वास्तविक तत्वोको प्राघ कर लिया है, यदि उसने झपने पौरुषाजुसार समस्त शक्ति प्राप्त कर ली है और उसका खदुपयोग किया है श्रौर यदि उसने साधारण तथा मध्यम रोतिसे अपना जीचन व्यतीत किया है, तो उसका जीवन निस्सन्देह सफल कहा जा सकता है. ' घन तथा ख्याति दोनों दो तुच्छ पदार्थ है । ख्याति हुवा में उड़ते हुए पातीके घुलवुलेंकें समान है; ऊी देखनेमे बड़ा दी सुन्दर तथा मनोहर प्रतीत होता है; परन्तु जिसका समस्त सोन्द्ये च्णमात्र मे नष्ट हो जाता है । , जब कभी मैं ख्यातिके .विषयमें विचार करता हूँ तो, मुझे तुरन्त ही जॉज़ डिवे (००४० 069७५) के अचुसवक्ता स्मरण ही आता है । जब चह युद्धसे लौट कर घर ,आया था तो वह बड़ा भारी योद्धा था । लव उसका त्रड़े झादरसे स्वागत होता था ओर कुछ ल्लोग तो उसे देवताकी नाई पूजनेको प्रस्तुत थे । परन्तु कुछ दी कालके अनन्तर उसने




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