(मानव शरीर रहस्यों भाग 1 | Manva-sharir-rahsya Bhag 1

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Manva-sharir-rahsya Bhag 1  by डॉ. मुकुंद स्वरुप वर्मा - Dr Mukund Swarup Verma

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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(५ (१ पचिन्न-सुचीः झ्ंड नंबर चित्र-धिवरण पृष्ठ-लंख्या र (रंगीन) , मानच-शरीर का आंतरिक दृश्य। | ९ (रंगीत) | जिकास्थि, वस्ति की ओर का पूछ । | च्द | जाजुसंधि की आंतरिक रचना | ६९. भ् । स्क्रंघ-सखंधि का परिच्छेद । | (रंगीन) हृदय का एवं यूछ । 'शु हू ६ (रंगीन) हृदय का पश्चिम प्र । ' गे ७ (रंगीन) ' हृदय, फुरफुसख. श्वास-नलिका, बद्ददू | घमनी और उसकी मुख्य शाखाएं ; महाशिरा 1 शुरू हृदय के कपाट वंद अवस्था में । [रियर रक़ के लाल और श्वेत कण । । ही ही कि ही दा प््क ञ बाकी द्० मेढ़क के रक़कण । घर श्श पक्काशय, अग्न्याशय, ज्लीदा इत्यादि । २१३ श्द्‌ | ामाशय, पक्काशय इत्यादि । रिद० रद ्ामाशय का भीतरी डघ्य । ऊपर की सित्ति काट दी गई है । २२१ 8 | पक्काशय और अग्न्याशय इत्यादि |. [रस र्् पक्काशय, अग्न्याशय, घीहा इत्यादि । [२२३ श््् न झामाशय के दशियांश भाग का परिच्छेद ९६ द्७ | उदर की सामने की पेशी इत्यादि | . काटकर अंजियों और उनको झ्राच्छा- |. दित करनेवाली कला दिखाइ गई है। [२९३ श् | पक्षाशय की आंतरिक रचना । २२४ न गक




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