नव - रत्न | Nav-ratna
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
2.36 MB
कुल पष्ठ :
82
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
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ाव्बफिला3 हा प्रचण्ड युद्ध था। कुरुक्षेत्रका कोना कोना वीरोंके-
11 मू || नववोषसे निनादित हो गया | वहँँको तिल-तिल-
हा जमीनको वीरोंने अपने तनसे पाट दिया-झोणितकी
नमः सरिता बह चली ! पर जारयंवीर बढ़ते ही गये !
एक ओर जरासिंधु और कौरवोंका दल था और दूपरी ओर हृरिवंशी
यादद और उनके सद्दायक पाण्डवादिकी अक्षीदिणी बढ़ती चढीः
जारदीथी। देखते देखते यादव-सेनामें कोलाइल मच गया-
“चक्र ब्यूद ” “चक्र व्यूद ” की भावाजसे आकाश गूंन उठा !:
श्रीरुष्ण, भरिष्टनेमि और छजुंनको परिस्थितिके समझनेें
देर न ठगी-उनके परामशेसे राना वसुदेवने चक्रब्यूदको तदस-
नइस क्ररनेके लिये गरुड़ व्यूहकी रचना कर डाली ! पचास लाख
रण-पंडित यादवकुमार व्यूहके अग्रभागमें रक्खे और वह सब लोग
अगाड़ी बढ़-बढ़ कर जरासिंधुकी सेनासे बाजी ढेने ठगे। फिर
णुक दूफे योद्ाओंकी हुंकारोंसे दिशावें गूंज उठीं-रथसे रथ मिड़
थे.
है
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