स्त्री - कवि - कौमुदी | Stree - Kavi - Kaumudi

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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[ १५ 13 पर पाश्चात्य शौर बज्ञाली कवियों की रचनाओं का अभाव पढ़ा । फलतः छायावाद और रहस्यवाद की रचनाओं का प्रादुर्भाव हुआ । श्री सुमिन्नानन्दून पन्‍्त, श्रीजयशंकर “प्रसाद' और श्री निराला थ्रादि कवियों ने इस पथ का संचालन किया । इसका प्रभाव शिक्षित स्त्रियों पर भी पढ़ा । इस प्रकार की काव्य-रचना करने वालियों में श्रीमती मद्दादेवी वर्मा का नाम विशेष रूप से उल्लेखनीय हैं। कितनी ही झन्य नवयुवतियाँ इस पथ पर झरथ्रसर हो रही हैं श्रौर भविष्य में उनसे विशेष झाशा भी है । देश इस समय स्वतंत्रता के लिए झागे बढ़ रहा है। कितने ही कवियों ने ,देश-भक्तिपूण॑ रचना लिखकर समाज को जायूत करने में सहायता प्रदान की थऔर राष्ट्रीय साहित्य का प्रादुर्भाव किया है। श्री *सनेही”. पं० माधव सुक्ल, शंकर जी, दरिघोधजी छादि ने सफल श्र देश-प्रेम से पूर्ण कविताये' लिखीं। स्त्रियों पर भी ऐसे वातावरण का प्रभाव पूर्ण रूप से पढ़ा । श्री डु देलाबाला, श्रीराज देवी, श्रीमती तोरन देवी शुक्ल, “लली' थर श्रीमती सुभद्राकुमारी चौहान ने देश- भक्ति पूर्ण बढ़ी सुन्दर और उत्कष्ट रचनाये' रची हैं और पुरुप कवियों के साथ साथ इन स्त्री-कवियों का भी नाम झादुर के साथ लिया जाता है । उक्त विदयारों से यह साफ अ्रगट है कि पुरुप-कवियों के साय स्त्री “कवियों ने भी हिन्दी-साहित्य की उन्नति में भ्च्छा सहयोग दिया है और इनकी रचनाये' झादर की पात्र हैं। श्राचीन स्त्री-कवियाँ पर




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