जातक खण्ड - २ | Jaatak Khand -2
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
19.26 MB
कुल पष्ठ :
492
श्रेणी :
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No Information available about भदंत आनंद कौसल्यायन -Bhadant Aanand Kausalyayan
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)| १६ |
विषय पृष्ठ
१७०. ककण्टक जातक २१३
[ यह कथा महाउम्मग जातक (५४६) म हू। ]
३. कल्याणधम्म बग २१४
१७१. कल्याणधस्म जातक २१४
[प्रब्जित न होने पर भी घर के मालिक को प्रन्नजित
हुआ समक सभी रोने पीटने लगे। घर के मालिक को
पता लगा तो वह सचमुच प्रब्नजित्त हो गया । ]
१७२ दहर जातक
२१७
[नीच सियार का चिल्लाना सुन लज्जावश सिह चुप
हो गए। )
१७३ सदकट जातक
२२०
[ वत्दर तपस्वी का भेष बनाकर आराया था । वोधिसत्त्व ने
उसे भगा दिया । ]
१७४. दुन्वभियमदकट जातक
[तपस्वी ने वन्दर को पानी पिलाया। वन्दर भ्रपने
उपकारी पर पाखाना करके गया । ]
१७४५ शभ्रादिच्चुपट्टान जातक
२९२३
२२९,
[ वन्दर ने सूय्यें की पूजा करते का ढोग बनाया । ]
१७६. फठायमुद्दि जातक
[ बन्दर का हाथ और मुंह मटर से भरा था, किन्तु वहू
उन सब को गवा कर केवल एक मटर को खोजने लगा ।)
१७७ तिन्दुक जातक
[ फल खाने जाकर सभी बन्दर फँस गए थे । गाव वाले
उन्ह मार डालते । बोधिसत्त्व के सेनक नामक भानजे ने
भ्रपनी बुद्धि से सबको बचाया । |
१७८ करच्छप जातक
[ जन्मभूमि के मोह के कारण कछुवे की जान गई। |
२२७
२३०
रेड
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