स्वर्ग की सड़क | Swarg Ki Sadak

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Swarg Ki Sadak by महावीर प्रसाद गहमरी - mahavir prasad gahmari

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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दिपय सूची १ । लक बाएं पायल पवारररावाण पा वाटवथय या संय्या घिपय घु् र०९-साइयो ! घर्म मोर भक्तिका काम जद्दू कीजिये ! . उसे चादेपर मत रखिये । - ३११०-छाद्मी अपने मनमें जेसा विचार करता दे भागे जा- कर बेला ही दोजाता है; किसी ओछे विचारके साथ घत खेलना! _ ' ३११- आइमी अपने मनमें जैसा विचार फरता दे आगे जा- कर वैसा ही दोजाता दै। (३). ८३ श्१२-दाख और सेत कहते है कि सत्संगकी चढिद्दारी है ३८८ ११३-सत्संगमण्डछीमें किसी सन्तके साथ रहकर भक्ति करनेसे जितना भानन्द म्िछता दे उतना आनन्द उस स्थान तथा उस सगके छोड़नेके याद नददीं मिलता ३९० इसका कारण । ,. ११४-किसीने कुछ थाती रखी हो और वदद वापस ले जाय '. .. हो इसका अफसोस नहीं करना चाहिये । ३९२ श१५-हम सबको केसे धर्मगुरुकी जरूरत है! ३९५ शरद अब दमें यह समझना सीखना चाहिये कि जिन उच्छे कामोंले बहुत आद्मियोंकी मलाई दोंती हे थे सब घर्मरे दी काम है। ३९८ १७-मगवानकी महिमा थे ४०१ १६८-वैराग्य दिशाकर या उराकर भक्ति करानेकी अपेक्षा भ्रसुप्रेम चताकर तथा परमुकी महिमा समझाकर भक्ति :£ कराना भरच्छा द्‌ 1९ --याद-रखना कि अपनेसे काम पड़नेवाले किसी आदमी को कोई बुरी आदत था घुश व्यसन लिला देना ए बड़ा सारी पाप दै । -.... ४०४ ०: प्रभुके झपण दजातलेक मलि कया १ ( १) ४०७ !२१ -पमुके जपेण दोजानेके माने कया ! (२)... « :डंए०




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