चाय की कहानी | Chaay Ki Kahaani

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Chaay Ki Kahaani by अरूप कुमार दत्त - Arup Kumar Duttaएम. एल. गुप्ता - M. L. Gupta

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अरूप कुमार दत्त - Arup Kumar Dutta

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एम. एल. गुप्ता - M. L. Gupta

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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हां क्यों नहीं । लूपर्स ग्रीन फ़ाईज ध्रिपस और बिच्छ बूटी बिच्छ नाम का पौधा से बहुत नुकसान हो सकता है। धाड़ी देर में मंगला भी वहां आ गया। उसके चेहरे पर वहीं चिरपरिचित मुस्कान थी। कल हम लोग नदी में तैरने जाएंगे। प्रांजल ने मंगला से कहा साथ चलोगे । हां क्यों नहीं मंगला न कहा कब । दोपहर में पिता जी राजवीर को सुबह कारखाना घुमाने ले जा रहे हैं।. ठीक है । मंगला ने कहा उसके बाद हम लोग मछली पकड़ने चलेंगे । मैंने कुछ जाल बनाए हैं उन्हें चैक करना हागा। लाल चौंच वाले तोतों का एक दल उनके ऊपर से उड़ता हुए गुजर गया और एक वृक्ष की छाया में बैठ कर शोर मचाने लगा । स्वच्छ नीले आकाश में कहीं दो पतंगे गोल गोल घूम रहीं थी. और दूर एक सफेद कपात आपने नीड़ की ओर उड़ता दिखाई दे रहा था।




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