संगीतांजलि भाग - १ | Sangitanjali Bhag- 1
श्रेणी : संगीत / Music
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
4.94 MB
कुल पष्ठ :
318
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)(१०
सा पाह्यपुम्वेदात, सामभ्यों गीतमेव थ्च्
यजुर्वेदादमिनयान् शतानधवंणादपि 1!
लोकबूत्तानुकरणु. नाट्यमेतन्मया . इतम्।
दर दी
इत्तमाघममध्यानां. नराणां.. फंसे अरयमू, मे
दिलोपदेशजननें नादयमेतद्वविष्यति ।
एतदू रसेपु भावेषु सर्वेफमेक्रियाह॒'च ॥
सर्वोपदेशजननें नाथ्यमेतद्वविष्यति |
दुः्लात्तौनां श्रमात्तौनां शोका््तानां तपरिवनाम् ॥
विधामजनन .. लोके.. नाध्यमेतद्वविष्यति |
धर्म्य यशस्प्रमायुप्य॑ द्विंत॑ जुद्धिबिघघेनमू ॥
लोकोपदेशजनन नाश्यमेतद्विष्यति ।
न वजु ज्ञान न तच्द्लिरपं न सा बिया न सा कला
नस योगों न तत्क्मे नास्येडस्मिच यन्न दश्यति
सर्वशास्राणि शिल्पानि कर्माणि विविधानि च !|
झामन्नारथें समेतानि तस्मादेतन्मया छतम् ।
(नान दान है १४,१५,७,१०९-११४ )
अर्थात् यह नास्य घर्म, अर्व और यश से युक्त है। इसमें उपदेश भी है और छोक के सत्र कर्मों का संग्रह है ।
'लाख्य' नामक इस वेद में सर बाएं वा अर्थ है, और सम शिरपों का प्रदर्न है । 'इतिदास' का मी इस में समन्वय है ।
कवेद से 'पास्य', सामवेद से 'यीत”, यूजुवंद से 'अभिनयं और अथर्ववेद से “रस का अदण करके इस नास्यवेद की
रचना को गईं है । यदद नाट्य लोकइत्त यानी छोकजीवन का अनुकरण है। इसमें उत्तम, मध्यम और अथम सनुष्यों के
कर्मों का वर्णन रहेगा और यह सभी को हिठोपदेश देने वाला होगा। रखें में, भ्गवों में और सब धर्मों में यद्द सभी के
छिये उपदेश देने वाला होगा । डुम्ख से, श्रम से और शोक से आत्तं व्यक्तियों और तपस्वियों को यह नाटय विधाम देने
बाला होगा । मे, यश, आयुप्य और हित को देने वाल्य दोगा, चुद्धि को बढ़ाने वास्य होगा और ठोक उपदेशवारी होगा ।
बोर शान, कोई शिल्प, विद्या; कठा; योग या कर्म ऐसा नहीं है जो इस नाट्य में दिखाई न दे । सब दास्त्र, शिल्प और
कर्म इस नास्थ में समाविष्ट हैं; इसीछिये मैंने इसे बनाया है ।
३. इस पदिलें देख खुझे हैं. हि गास्थरंवेद सामवेद का उपयेद है, किन्तु नाव्यवेद को किसी वेद का सदवेद
ले कद कर पंचस वेद दो कहा रपा दे | “गन्थिदंदेद' की अपेशरा 'नाद्य' का चेन्र अधिक व्यापक दे जिसमें गान्धरव भी
समाविप दो जाता दे | नाव्यशास् ( ३९ वो म्याय ) में कहा दे कि नारद ने जैसा “मानव घठाया है, पैसा दी
वीं कहा गया दै |
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