मुसलमानी राज्य का इतिहास भाग २ | Musalmani Rajya Ka Itihas Bhag-2

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Musalmani Rajya Ka Itihas Bhag-2 by अज्ञात - Unknown

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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& (शेप ) “घीरे क़ैद्खाने की सस्ती कम करते करते तारीफ़ ६ मई सन्‌ १६६४ ई० में शाह श्रालम को ाज़ाद कर दिया । वद्द मुल्तान भेजा गया श्लौर चद्दां से सूबेदार चनाकर श्रफ़सा- निस्तान ,रवाना किया गया 1 शाह ालम वैसे भी वद्दादुर नददीं था | लेकिन इस तरद्द लगातार सताए जाने से उसकी दिस्मत श्रौर भी टूट गई । उसने समझा क़रेद होने से विदद- तर दे कि किसी तरह खुशामद करके बादशाह को राज़ी रखे । श्रौरंगज़ेव को खुश रखते हुए चह श्पने वीची चथ्यों में चैन, से दिन 'काटता था ।' दिन तो कटता जाता था लेकिन उसके क्ादरपने की शिकायत चारों तरफ़ होने लगी । बादशाह खुद उसको चुज़दिल समभने लगा | शाददज़ादा मुद्दम्मद ,'ग्राज़म शाह श्रालम की कमज़ोरियों से फ़ायदा उठाना चाहता था । यद्द चड़ा घ्मंडी श्ौर गुस्ताख था । शौरंगज़ेव के सामने भी शुरसा शौर घद- जवानी करते हुए उसे डर नहीं लगता, था । शौरंगज़ेच इसको सानता था इसी लिये वह श्रौर सर चढ़ गया था। . इलादावाद के सुबेदार मीरखां के उसकाने से श्ाज़म ने चाद्शादत हासिल करने का दौसला किया । याद्शाद ने नाराज़ होकर मीरखां को चरखास्त करके उसका माल ज़ब्त कर लिया । श्राज़म से संभल की फ़ौजदारी ले ली गई | इतने चढ़े क़सूर के लिये इतने सम््त शादमी के दाथा से यद्द बहुत कम सज़ा थी ! औरंगज़ेव का लड़का झाज़म




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