गोस्वामी तुलसीदास और रामकथा | Goswami Tulsidas Aur Ram Katha

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Book Image : गोस्वामी तुलसीदास और रामकथा - Goswami Tulsidas Aur Ram Katha

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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( ह६ ) के सूते द्वारा श्रारम्म हुई । उस समय वाल्मीकि ने इस सफुट श्वाउवान-काब्य के श्याघार पर राम-कथा विपयक एक विस्तृत प्रजन्घ-काव्य की रचना की, जो समस्त प्रचलित राम-कथा साहित्य का मूलख्रोत है । इस वाल्मीकि छत श्रादिरामायण में श्रयोध्या काणड से लेकर युद्ध कारड तक की कथयावस्तु का वर्णन था तथा बौद्ध झमिषर्म मददाविभाषा के श्नुतार इसका विस्तार केवल १९००० श्लोक था। वाल वाल्मीकि रामायण के तीन पाठ प्रचलित हैं--दाक्िणास्य, गोडीय सथा पशिचमोत्तरीय । क्थानक के दृष्टिकोण से तीनों पाठों में लो श्लोक पाए, लाते हैं, वे एक तिद्दाई से मी कम हैं, इसके श्रतिरिक्त इनका पाठ भी पूर्णतया एक नहीं है । इसका कारण यह है हि बाल्मीकि कृत श्रादिरामायण का कोई एक लिखित रूप प्रामाणिक नहीं माना गया है। पद कई शताब्दियें! तक मौलिक रूप से प्रचलित या, लिससे उसका पाठ स्थिर न रद्द सका । काव्योपेजीवी छुशीज्व झपने श्रोताश्नों की रुचि का ध्यान रख कर लोकप्रिय श्रंश बढ़ाते मी थे । इस प्रकार झादिरामापण का क्लेवर बीच के प्रक्षेपों के कारण बढ़ने लगा । इसफे श्रतिस्ति राम कौन ये १ सीता कौन थी १ इनया लग्म तथा विवाह कब सर किसे प्रकार मनाया गया ? रावण कौन था १ रावण-बघ के बाद राम-सीता का लीवन कैसे वोता ! उनके कौन संतति उत्तनन हुई श्रादि, ये श्रत्यन्त स्वाभाविक प्रश्न थे । जनहाधारण की इस लिज्ञासा को संतुष्ट करने के लिए चालकाणुड तथा उत्तर काएंड के प्रारम्भिक रूप की रचना कर ली गयी । अतः विकाल का प्रथम सोपान यद है कि राम-कथा की कथावस्तु रामायण ( राम+- झयम शर्थात्‌ राम का पर्यटन ) न रद कर पूर्ण रामचरित के रूप में विकसित हुई। इस समय तक रामायण नर-काव्य हो रहा श्रीर राम झादर्श चुचिय के रूप में भारतीय जनलाधारण के सामने प्रस्तुत किए. गए थे । इसका “ श्ाभास भगवदूगीता के उस स्पल से मिलता है, जीँ पुप्य जन से कते हैं कि श्र घास्थ करनेवालों में मै राय हूँ राम: शख्रमुतामदम! 1 वाल्मीकि रामायण के रीकाकारों ने भी बालकाणड के दूसरे से स्वीथे सर्ग तक ( तीन सर्ग) को श्ञादिकाब्य का मूमिकास्सक माना ' है, लो वाल्मीकि के श-- देखिए फादर कामिलबुल्के झुत-'राम-कथार ध० इ८०-४परे ।




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