जमनिया का बाबा | Jamaniya Ka Baba
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
1.86 MB
कुल पष्ठ :
152
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)मी नकषावा 15 इसमें मुझे सफलता कहाँ मिलती है ? लगता है/ वह _ सब सचमुच ही उन जटाओो का खेल था । यहाँ फिर से अयर जटाएँ- बढ़ाने की इजाजत मिली तो दिखला दूंगा । मगर यह सब यहाँ नहीं चलेगा । जेसरें तो जी हिन्दू हे सुपरिन्टेन्डेन्ट ईसाई है । उसके अन्दर साधुओ केबारें में जरा भी दिलचस्पी नहीं होगी । नहीं जेल के हाकिम इजाजत दे ही देंगे फिर भी मैं बाल नहीं बढवाऊंगा । जटाएँ तैयार हो भर फिर से उन पर के शियो की मार पढें नहीं ऐसा नहीं होने दूंगा । अवधूतिन को बडी तर्कलीफ है । कल उसे बुखार आ गया था । बड़े जमादार से कहलवा दिया था । डाक्टर ने दो टेवलेट दी थी । सुना आज बुखार नहीं या । इस बेचारी को नाहक ही गिरफ्तार किया गया । इसने कौन-सा बसूर किया था । भगोती प्रसाद इस कोशिश में है कि अवधूतिन को जमानत पर छुडवा लिया जायें । आज तक ज्मानतदार नही मिल सके दो-्वार रोज के अन्दर कोई न कोई जमान तदार मिल ही जायेगा । इसरतीदास बुरा नाम है महीं कौन इस नाम को दुरा कहेगा ? माई थी इमरतीदास जी महाराज । अदघूतिन को जमनिया के दरबार में लोग इसी नाम से माद करते है। हमने मद नाम दिया तो बहू पुद भी बेहद खुश हुई थी । दात थी भी खुश होने की । उसका फिर से जमेम हुआ था । उद्धार तो बहुत छोटा शब्द टुआ 1 कितनी उच्च होगी इमरितिया की ? होगी यहीं कोई तीस-वत्तीस वी । तन्दुररती अच्छी है लगती नही है तीस-दत्तीस को । पच्चीस-छब्वीस की सगती है। खुराक अच्छी मिले और दाल-बच्चों वा झमेला न रहे तो आऔरंतो बी उमर अवसर कम दिखाई देती है। इमरितिया पर कई लोगो थी निगाह गडी है । देखें विसकें नसीब में जाती है मैं नहीं रोजंगा । भ मुझको रसी-भर भी सलग नहीं है इमरितिया दे लिए। यो बट रहना चाहे तो जमनिया का मठ हमेशा उसे रखने के लिए तंयार रहेगा । ज्मनिया क्या था ? बुछ तो नहीं था । नारायणों नदी के विनारे छोटान्सा गाँव या । विहार और उत्तर प्रदेश थी सौमाएँ नजदीक पड़ती हैं । रेसवे शा रटेशन होने से जमनिया दाहरों दुनिया से जुइ थया है ।
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