वंशानुक्रम विज्ञान | Vanshanukram Vigyan

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Vanshanukram Vigyan by श्री शचीन्द्रनाथ - Shri Sachindranath

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about श्री शचीन्द्रनाथ - Shri Sachindranath

Add Infomation AboutShri Sachindranath

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
ढारदिन, गैल्टन, मेन्डेल के '्याविप्कार ७ बशानुकम के बारे में थी बहुत से तथ्यों का 'झाविप्कार किया था। गाल के बंशाचुकरमसम्बन्धी 'झापिप्कार के कारण दन पर ईसाई समाज के पादरी श्वत्यस्त संतुष्ट हो गये थे। इसका कारण यदद था कि ईसाइयें के घारणातुसार जन्म के समय शिशु संस्तारुत्य दाकर दी जन्म होता हैं, 'और बंशालुकम-विज्ञान के अनुसार वह संस्ार-युक्त देकर जन्म प्रदण करता है। व्याघुलिक विकासवाद 'अयया विवर्तेनवाद की भी मूल घार- शाएँ हिन्दुओं में बहुत समय से प्रचलित हैं; किन्तु पारचात्य समाज में ही उसका वैज्ञालिक रुप मर्द हुआ है। बंशालुकम: विज्ञान भी पहले-पहल घिकासवाद की दी शाखा के रूप में दिखाई दिया था। सैकड़ों पुपालक 'और बारावानों ने इस वात के समम लिया था कि बलिप सॉड के 'औरस से उत्क् गाय का जन्म दाता है, और फूल तथा फल के दो से भी, नई-नई शाखाओं के निकलने से, नये मकार के फलों 'यौर फूलों के जन्म देनेवाले लवीन पैाधों का 'आदिभोद देता है ० वैज्ञानिक विकासवाद के ाविभीष के पूर्व दी दार्शनिक धर चिन्तनशील लेखक ने सर्वप्रथम दिक्ासवाद के सिद्धा्त का चार किया था, किन्तु सबसे पहले लामाक श्रीर उसके बाद चार्स्स डारिन, वालिस 'और इरबटे स्पेन्सर ने, वर्तसान युग में वैज्ञानिक विक्षासबाद के जन्म दिया। इनमें से लामाकं की खाज और शर्तिन के 'स्ोरिजिन 'आारु_ सपीमीश” के खाजपूणे तथ्यें के 'झाभार पर बंशालुकम-विज्ञान का वैज्ञानिक 'साधार प्रतिध्चित हुमा है। बंशाशुकम की धारणा के दाइकर वैज्ञानिक विकासबाद टिक नहीं सकता । सबसे पहले लासारें ने ही वंशानुकम के राधा: शाप * देखिर पडा 61 5८९0८० छप एए. शा नए, पिटिशन- ९१0) था. 23, 291 का सपसशलदगाा




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now