भारत के वीर सपूत | Bharat Ke Veer Saput
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
3.6 MB
कुल पष्ठ :
171
श्रेणी :
हमें इस पुस्तक की श्रेणी ज्ञात नहीं है |आप कमेन्ट में श्रेणी सुझा सकते हैं |
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about सावित्री देवी वर्मा - Savitri Devi Varma
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)रद भारत के वीर सपुत
भावाज़ थी देशभक्ति की, श्रपने देश की प्रभुसत्ता श्र प्रादेशिक
भखण्डता को, किसी भी हमलावर से रक्षा करने की राष्ट्रीय
दूढ़ निस्वय की । यह सारे देश की जनता की श्रावाज़ थी जिसे
उनके चुने हुए संसद् सदस्यों ने साफ-साफ दाब्दों में व्यक्त किया
था । माननीय सदस्यों को स्मरण होगा, जब पिछली बार श्रप्रैल
में मैंने सदन में वक्तव्य दिया था तब उसमें मैंने देश के लोगों से
दिली एकता पैदा करने के लिए श्रपील की थी | यह एकता
श्राज पूरी तरह से पैदा हो गई है श्रौर इस संकट की घड़ी में
इसे कारगर रूप में प्रदर्शित किया जा चुका है। परीक्षा के इस
समय में वास्तव में एकता की यहीं सबसे बड़ी शक्ति हमारे
पास थी ।
“पाकिस्तान के हील-हवाल के वावजुद युद्धविराम हो चुका
है। यह संभव है कि जब हम आगे की समस्याश्ों को निवटाने
लगग तो श्रौर कठिनाइयां तथा जटिलताएं पैदा हों । यह काम
ग्रासान नहीं, विशेषतः जव हम यह देखते हैं कि युद्धविराम
मजूर कर लेने के बाद भी प्रेसीडेंट ्रयूब खां तथा उनके विदेश
मनी ने घमकियां दीं । मैंने राष्ट्रसंघ के महासचिव को श्रपने
१४ सितम्बर के पत्र में भारत के दृष्टिकोण को पुरी तरह
रंपष्ट कर दिया है । सुरक्षा परिपद् के तीन प्रस्तावों के संबंध में
जहां तक हमारा सवाल है हम समभते हैं कि यह पाकिस्तान
की नियमित सेनाश्ों और घुसपैठियों दोनों के लिए लागू है।
पाकिस्तान को इस वात की ज़िम्मेदारी उठानी होंगी कि उसने
हमारे जम्मु-कदमीर राज्य में जो घुसपैठिये भेजे हूं उनको
वापस ले। परन्तु महासचिव की रिपोर्ट के वावजूद भी धुस-
की ौ
User Reviews
No Reviews | Add Yours...