विश्व की कहानी | Vishv Ki Kahani
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
12.16 MB
कुल पष्ठ :
191
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)दै. विश्व की कहानी ं
५--पृथ्वी किस पर टिकी हे ?--चाँद को हम
देखते हैं कि वद्द आकाश में टँँगा हुआ दिखाई पड़ता है। उसी
प्रकार यदि हम चन्द्रमा पर खड़े हो कर देखे तो हमारी प्रथ्वी भी
आकाश में एक गोले की भाँति टैंगी हुई दिखाई पड़ेगी । आप पूछ
सकते हैं कि यह केसे होता है, पथ्वी गिर क्यों नहीं पड़ती, ाखिर
प्रथ्वी किस पर टिकी हुई है ? पुराने समय में लोग इस रहस्य
को नहीं समभ पाये थे, तब उन लोगों ने प्रथ्वी के लिए भिन्न-
भिन्न आधारों की कल्पना की थी । दमारे यहाँ के प्राचीनों ने
यह निश्चय किया था कि प्रथ्वी को शेषनाग अपने फण पर उठाये
हुये हैं और शेषनाग स्वयं एक अनंत सागर में तैर रहे हैं । इस
प्रकार की कत्पना अन्य देश के लोगों ने भी की थी । “थेल्स
नामक ज्योतिषी अपने समय का बड़ा बुद्धिमान महापुरुष सम भा
जाता था। परन्तु इसका भी विश्वास था कि प्रथ्वी का गोला
पानी पर तैर रद्दा है ! इस प्रकार भिन्न-भिन्न देशों में भिन्न-भिन्न
कल्पनाएं' हुई' । ऐसी कल्पनाओं की ्मावश्यकता केवल इसलिए
पड़ी कि लोग समभते थे कि आधार के न रहने पर प्रथ्वी गिर
पड़ेगी । परंतु आजकल तो विज्ञान ने यद्द प्रमाणित कर दिया है
कि प्रथवी पर की वस्तुएँ प्रथवी को ओग् इसलिए गिरती हैं कि
उनको प्रथ्वी अपनी ओर खींचती है। प्रथ्वी स्वयं किघर गिरेगी
और क्यों गिरेगो ? प्रथ्वी केवल उधर ही जा सकती है जिघर
कोई दूसरा पिंड उसे खींचे, प्रथ्वी पर सर्य का ही श्राक्षण
संबसे अधिक पड़ता है। यदि प्रथ्वी किसी प्रकार चाण भर के
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