शिक्षा ग्रंथों में संगीत तत्त्व | Shiksha Granthon Main Sangeet Tattva

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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मुमिका > ह हड का. हु रू. १६8: 55 १5.६5 55 हा हू पा तु वेदस्य हस्ताँ कल्पों 5 थ पढ़ते । ज्यॉतिथमयन चद पुर्निर बर्त श्रीवमुच्यते * 11. ग सकें नल शिदप प्राण न्तु बैदस्य मुख व्याकरण स्मतमु त्सागमधी क किट न ड . तस्मा त्सांगमथी त्वैव ब्रहमछौकें मदीयतै ।। कर ही पाणिनि ने शिया को वैदरुपी शरीर का प्राण बताया है । बभिप्राय सम्मबत: यही प्रतीत हौता है कि जिस प्रकार प्राणि मे पि सिवीरे गण ( नासिका ) सम्मान सुवक है । प्राण्य वायु का साधन ॑ का प्रतीक है। उसी प्रकार राज को समकना चाहिये । वेद का क माना ही गया है किन्तु इन ४ धक, द समर नंगा - सहित क्ध्ययन करना आावः न. रन ो स्थान, प्रयत्न, मात्रा, स्वर, का कहाँ; कैसे, प्रयौग क्या जाय ये सभी - बा शहाा-ज्ञान के अमाव मैं ना कठिन है ।




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