विश्व की कहानी 14 | Vishwa Ki Kahani 14

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Book Image : विश्व की कहानी 14  - Vishwa Ki Kahani 14

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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थीं और एक साधारण बुद्धि का व्यक्ति भी यही. सोचता कि चह्टानों से जहाज़ का पंदा बवशय टकराकर टूठ जायगा पर तुरन्त दी कप्तान ने थाद लगानेवाले यंत्र से गदराई नापी तो पता चला कि उस जगह समुद्र की गहराई काफ़ी थी; जहदाज़ के लिए एकदम ख़तरा नथा। अवश्य दी श्रालोक- रश्मियों के श्रावतन के कारण समुद्रतल ऊँचा उठा हुआ्रा दिखलाई दे रहा था | एक और बात है । पानी या. किसी भी पारदर्शी पदाथ अन्दर वस्तु को. जितनो दी अधिक तिर्ठी दिशा से आप _ देखेंगे, उतनी दी ऊपर उठी हुई बहझापको .... दिखलाई की रु .... देगी। नाव मम. खड़ा हुआ्रा व्यक्ति पानी . के श्रन्दर की मछली को अपनी वा- स्तविक . स्थिति से ऊपर इटी ........ हुई देखता _.. हैं। किन सरा ध्यक्ति हनी कप न मी कं ह ईद (ऊपर ) बालटी में यदि स्वच्छ जल भरा हो तो ऊपर से देखने पर बालटी की गहरा लकड़ी डालिए, वह एक जो नाव द मालूमं दगी अर उसका पंदा उा डुझा दिखाई चुद | उसपें एक दर बंठा जगह से सुद्दी हुई दिखाई पड़ेगी । यह ालोक-रशिमयों के श्ावत्तन की ही. कर है, एक- ....... (नीचे ) इकननी का प्रयोग । विवरण के लिए इसी एष्ठ का मेटर पढ़िए 1... दम तिरछी दिशा से मछली के देखने का प्रयत्न कर रहा. ज़रा ऊ्चा उठा दिया जाय तो आपको वह फिर दिखलाई है। जैसा कि पृष्ठ १६४२ के चित्र से प्रकट है; इस व्यक्ति देने लगेगी । झाप श्रपने मित्र से कदिए. कि वदद प्याले के को ऐसा जान पड़ेगा मानों मछली एकदम ऊपर पानी. झन्दर पानी उँंडेले। प्याले के अन्दर ज्यों-ज्यों पानी पहुँचेगा,. को सतद के पास दी है।... _ इकन्नी भौ ऊपर को उठती हुई जान पड़ेगी, यद्दोँ तक कि बह ताचतन के कारण धरातल के ऊपर उठ जाने का एक स्पष्ट उदाहरण मिग्नलिस्वि प्रयोग में देखा जा सकता है | इस प्रयोग को श्राप द्पने घर पर भी कर सकते हैं पत्थर की एक प्याली लीजिए जिसका पँदा चिपटा दो । अब मोम की सद्दायता से एक इकन्नी प्याले में रखकर देंदे से चिपका दीजिए, । प्याले को फ़रश पर रख दीजिए, ऑ्ाप खड़े होकर प्याले की इकननी पर निगाद लगाइए | इकन्नी पर से निगाद दटाए, बिना दी पीछे दटते जाइए । भिकि,,, ज्यों ही इकनी श्ापकी दृष्टि मल दोती है शाप उदर जाइए, | इकन्ी श्रौर श्र पकी ँखि के बीच प्याली की दीवाल का किनारा श्रा गया कारण टन की तब झाप को दिखला ई नहीं देती अचरय दी. यदि तूत है। कभी को किसी भाँति । 1 |] दि




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