भाषा - विज्ञान - सार | Bhasha Vigyan Sar
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
44.98 MB
कुल पष्ठ :
272
श्रेणी :
हमें इस पुस्तक की श्रेणी ज्ञात नहीं है |आप कमेन्ट में श्रेणी सुझा सकते हैं |
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about राममूर्ति मेहरोत्रा - Rammurti Meharotra
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)ष् भाषा-विज्ञान-सार
इतिहास का पता नहीं लगा सकते ओर यदि इतिहास का पता न
लगेगा, तो सिन््न-मिन्न शब्दों में और उनके रूपों में कया और केसे
परिवतन हुए, इसका ज्ञान प्राप्त नहीं हो सकता । इस म्रकार याद
किसी भाषां में साहित्य न हो तो उसका भाषा-विज्ञान भी शून्य
हागा। उदाहरणाथ यदि संस्कत, प्राकत और अपध्रश आदि में
साहित्य न हेतता, तो भाषा-विज्ञान इतनी उन्नति न कर पाता । ऋग्वेद
की भाषा से पूर्व का काई साहित्य न हमने के कारण उस समय का
भाषा-विज्ञान भी कुछ नहीं है।. साहित्य भाषा-विज्ञान का सुख्य
आधार है।
मानव-विज्ञान से संबंध -मा्नव-विज्ञान का मुख्य विषय
यह है कि मनुष्य नै प्रारंभिक अवस्था से बतंमान अवस्था तक
किस प्रकार उन्नति की, उसका विकास किस प्रकार हुआ । यह
उन्नति दो प्रकार की है (के) स्वाभाविक या प्राकृतिक (ख) सांस्कृ-
तिक । संस्कारजन्य उन्नति यह बताती है कि मंतुष्य की रददन-सहन
बातचीत, लेखन-कला आदि का विकास ककिस प्रकार हुआ । भाषा
और लेखन-प्रण[ल] की उत्पत्ति और ब्िकास भाषा-विज्ञान के भी
अंग हैं। अत: सानुव-विज्ञान और भाषा;़विज्ञान में घनिछ
संबंध है | थ के
इतिहास से संबंध--राजनैतिक परिवतनों ओर विप्लवों का
प्रसाव भाषाओं पर भी बहुत कुछ पड़ता है। उदादरशाथ अप-
भ्रश के देशव्यापी हाने का कारण आमभौरों का प्रमु्व था; हमारी
बोलचाल की भाषा में उदं; फारसी और चँग्रेजी शब्दों के प्रयोग
का. कारण * यँथा-समय सुसलमानों ,और यूरोपियनों के साथ
हमारा संसरों ही है | डी
समाज से संबंध--भाषा-विज्ञान का मुख्य विषय भाषा है
ब्यौर भाषा समाज सापेच् है? भाषा समाज का दुपण है । राजनैतिक
घामिक ओर सामाजिक स्थिति का भाषा पर बहुत कुछ प्रभाव
शो
छ-
थे
User Reviews
No Reviews | Add Yours...