लिपि - विकास | Lipi Vikaas

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Lipi Vikaas by राममूर्ति मेहरोत्रा - Rammurti Meharotra

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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लिपि का आविष्कार ७ अमरीका की रेड इंडियन जाति में अँगूर की बेल द्वारा होता था । + ( योग ),-( घटाना , 2 ( गुणा ),~- भाग, '.' ( चूँकि ),.. ( इसलिये ). = ( बराबर ), > ( अपेक्ताकृत बड़ा ), <.( अपेक्षा कृत छोटा ),।। ( त्मानान्तर ` ^ ( त्रिमुज्न ) । ( लम्ब ) श्रद्‌ तथा (0 ( चन्द्रमा ), ¢) ( सुय ), नं० {६४ ( प्रथ्वी ), नं० १५ ( ब्रहस्पति ) नं० १६ ( मङ्गल), नं० १७ ( शुक्र), न° १८ ( शनिश्धर ) श्रादि भी, जिनको सवे संसार के गणितज्ञ तथा भूगोलज्ञ अथवा ज्योतिषी एक होने के कारण सममः लेते है, सम्भवतः इसी प्रकार फे चिन्ह । विशप वित्किप्तकेमतसेभी, जो किं इनको श्रव्यन्त प्राचीन श्रौर विश्व भाषा ( पणर८ा88] 108९8९6 ) का श्रवशेष चिन्ह मानता है, इसकी पुष्टि होती है । स्काउट आजकल भी इस प्रकार के शब्द-चिन्दों का प्रयोग करते हैं, जैसे नं० १०, १६. ->(0 + श्रादि करमशः जल, डेरा, श्राश्चो, घर, भय श्रादि के योतक है । यहाँ यह याद्‌ रखना चाहिये कि स्काउद चिर्होका, जो श्रभी कुं समय पुवं निमित हुए हैं, प्राचीन शब्द-प्रकाशक-चित्र लिपि से काइ सम्बन्ध नहीं है । ( ४) ध्वनि प्रकाशक चित्र लिपि; --मूत्त' पदार्थों का तो वास्तविक सांकतिक चित्रों द्वारा श्रौर भ्रमृत्त पदार्थों का सांकितिक चिन्हों द्वारा प्रकाशन दो जाता था और जटिल भावों के लिए दो तोन भाव-चित्र संयुक्त कर लिए जाते थे, परन्तु व्यक्तिबाचक संज्ञाओं को व्यक्त करने के लिए कोई चिन्ह न था । इस अवश्यकता की पूर्ति भाव-चित्रों को ध्वनि-चित्रों में परिशत करके की गई, ठदाहरणाथ मेक्सिको के चतुथ राजा 'इत्जकोल' का नाम मेक्सकन “इत्ज' (चाकू ) तथा 'कोत्ल' ( सपे ) के भाव-चित्रों द्वारा लिखा गया है। इस प्रकार मूल चित्रों से सकितिक भाव-चित्र और भाष चित्रों से ध्वनि-चित्र घने । +




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