सारथी से महारथी | Sarthi Sai Maharthi

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Sarthi Se Maharathi by सन्त गोकुल चन्द्र शास्त्री - Sant Gokul Chandra Shastri

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about सन्त गोकुलचन्द्र शास्त्री - Sant Gokul Chandra Shastri

Add Infomation AboutSant Gokul Chandra Shastri

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
( दे ) होंगे ? कया हमारे जीवन-छक्षत की सूखी डालियों के साथ भी ईश्वर कभी ऐसे सुन्दर फल.....८ «८८००-०० दर राघा--( प्रेम से ) अवश्य लगायेंगे नाथ । ऐसी साधारणसी बात के लिए दिल को छोटा न करना चाहिए प्रायाधन । ईश्वर के अक्तय भण्डार में किसी वस्तु की कमी नहीं । किसी न किसी दिन वे हम कंगालों की भी करुण-पुकार सुनकर हमारी फेलाई हुई कोली भरेंगे । गाना हरि, मत और अधिक तरसाओ । हम चातक तुम घनइयाम हो, करुणाजल बरसाओ (। हारि मत० 11 अं. खें प्यासी उस दरसन को, अब तो झलक दिखा ओ ॥।हरि मत* ॥1 सूना सब घरवार तनय विन, सुत-आनन दरसाओ हरि मत ( किसी नवजात शिशु के रोने की आवाज आती दे । ) धिरथ--( कान लगाकर ). सुनती हो-किसी वालक के रोने की आवाज़ या रददी है ।' ( गाना छोड़कर, कान लगाती दे | ) राघा--मालूम तो यही होता है श्ौर आवाज़ भी नदी में से शा रही है । चल कर देखें तो ? झधिरथ--हां, चलो देखें। ( दोनों चलते हैं । )




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now