सारथी से महारथी | Sarthi Sai Maharthi
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
672.95 MB
कुल पष्ठ :
200
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)( दे )
होंगे ? कया हमारे जीवन-छक्षत की सूखी डालियों के
साथ भी ईश्वर कभी ऐसे सुन्दर फल.....८ «८८००-०० दर
राघा--( प्रेम से ) अवश्य लगायेंगे नाथ । ऐसी साधारणसी
बात के लिए दिल को छोटा न करना चाहिए प्रायाधन ।
ईश्वर के अक्तय भण्डार में किसी वस्तु की कमी नहीं ।
किसी न किसी दिन वे हम कंगालों की भी करुण-पुकार
सुनकर हमारी फेलाई हुई कोली भरेंगे ।
गाना
हरि, मत और अधिक तरसाओ ।
हम चातक तुम घनइयाम हो, करुणाजल बरसाओ (। हारि मत० 11
अं. खें प्यासी उस दरसन को, अब तो झलक दिखा ओ ॥।हरि मत* ॥1
सूना सब घरवार तनय विन, सुत-आनन दरसाओ हरि मत
( किसी नवजात शिशु के रोने की आवाज आती दे । )
धिरथ--( कान लगाकर ). सुनती हो-किसी वालक के रोने
की आवाज़ या रददी है ।'
( गाना छोड़कर, कान लगाती दे | )
राघा--मालूम तो यही होता है श्ौर आवाज़ भी नदी में से शा
रही है । चल कर देखें तो ?
झधिरथ--हां, चलो देखें। ( दोनों चलते हैं । )
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