आधुनिक हिंदी नेत्ररोगविज्ञान शास्त्र | Aadunik Hindi Netra Rog Vigyan Shastra
श्रेणी : स्वास्थ्य / Health
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
44.92 MB
कुल पष्ठ :
391
श्रेणी :
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about डॉ. दि. धो. साठचे - Dr. Di. Dho. Shothye
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)१० मेल्यानोढठास्ट ३५६ नेत्रके शुक्लास्तरमें की रजित अवस्था । कृप्णमंडछ का रजित द्रव्य ३५६ । रजित द्रव्य धारक पेशिया-कृष्णमडलकी दो किस्मकी पेशिया-क्रोम्याटोफोर-वंलबके आकार की पेशिया ३५७ । क मे चार संघ -- १ रक्तसे व्यृत्पन्न हुए शरीरकी २ पेशियोंसे पंदा होनेवाले-लिपो- क्रमस और मेल्यानिन ३ खनिज धातुसे पैदा होनेवाले ्हाडापसिन या चाक्षुष नील- लोहित पिंग । मेल्यानिन की पैदाइश.--नेत्रमेकी पैदाइश दो घटकोमे १ सज्जाकी कलातह रो कृप्णमडल । थे रजित द्रव्यघारक पेडियां ३५८ । खंड ४ अध्याय ११ केवल मूल तत्वात्मक भौतिक इक्शास्त्र ३६२-३७१ -प्रकाशकी व्याख्या प्रकाश संबंधकी कत्पनाओकी तवारीख.--पिथागोरसकी कल्पना परमाणू विसजन कल्पना तेज परमाण कल्पना लहरी रूपकी कल्पना प्रकाशकी विद्युत चुबनीय कल्पना जेमस-वलारक न्म्याक्सवेल प्रमाण वस्तुभूत कल्पना ३६३ प्रा_ आईनस्टीन की सापेक्षत्वकी कत्पना ३६४ प्रकाशका उगम --जड वस्तुकी रचना कणादकी कल्पना ३६६ प्रोटान्स और इलेक्ट्रा्सका सर्वव्यापित्व ३६७ जड वस्तु और किरण विसर्जन शत ३६८ किरण लहरियोंकी लम्बाई ३६९ । प्रकाशकी रचना.-दविंतकी रचना ३६९ प्रकाश दार्वितिकी प्रमाण कण कल्पना ३७० ।
User Reviews
No Reviews | Add Yours...