ज्वर के कारण व चिकित्सा | Jvar Ke Karan V Chikitsa

Jvar Ke Karan V Chikitsa by युगलकिशोर चौधरी - yuglakishor Chaudhary

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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१४ ज्वरों में औषधियां शास्त्र में लिखा है कि मृत्यु एफ फी सदी है ौर अकाल सृत्यु ६६ फी सदी मृत्यु का काई प्रतिकार नहीं किन्तु काल मृत्यु उपायों से टाली जा सकती हूँ । मेरी यह राव है कि श्याज जितने रोगी सोतीग्तरा इन्फ्लुएजा देचक प्लेग योग अलेक पवार के भीपण स्यरों से मर जाते हैं उनसें से फेवल ? फी सदी मौत शा जाने से मरते है और ६६ फी सदी मृत्यु पूछृतति-विरुद्ध चिक्त्सि से सारे जाते हैं। भगवान की लीला विचित्र है । वे अपने शि पर पश्र नहीं लेते । इन्होंने मनुप्त को चुद्धि दी है. छौर कृति के आधीन शरीर की सभी कार्य रखे हैं। इस लिए रोग आदि में प्रकृति ही हमारा गुरु होना चाहिये प्रद्धति की वालों से मपनी बुद्धि लेडाकर प्रकृति श्राचरण करने से प्रकृति कुपित दोकर दन्ड देती हैं । दाहरणुथ बच्चे को सिलाइये कभी नहीं खायेगा च्योंफि बह प्रदूति विरुद्ध दे हानिकारक हैं । आ्ादत होने से मनुष्य चहत मिर्चे खाने लग जाते हैं। इसी प्रकार जितनी हैं चे सब प्रकृति के चविरुद्ठ दै श्रौर इस लिये दासि- चारक दे । स्वतन्त्र श्रुति के प्राणी पशु पत्ती श्यादि कभी बचा नहीं लेते मौर फिर भी वे सदा निरोग व सुन्दर रहते हूँ--वच्चे भी दवा का घोर घिरोध करते है । शरीर में रोग विकारक शक्ति मौजूद है । चुग्वासं में चीमारों को नेक प्रकार की ठोस




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