पातंजल योग दर्शन तथा हरि भदरी योग वंशिका | Patanjal Yog Darshan Tatha Hari Bhadri Yog Vinshika

Book Image : पातंजल योग दर्शन तथा हरि भदरी योग वंशिका - Patanjal Yog Darshan Tatha Hari Bhadri Yog Vinshika

लेखकों के बारे में अधिक जानकारी :

विशारद यशोविजयोपध्याया - Vishard Yashovijayopadhyaya

No Information available about विशारद यशोविजयोपध्याया - Vishard Yashovijayopadhyaya

Add Infomation AboutVishard Yashovijayopadhyaya

सुखलाल - Sukhalal

No Information available about सुखलाल - Sukhalal

Add Infomation AboutSukhalal

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
(१९) योगसू्र बृत्तिके अधिकारी तीन प्रकारके दो सकते हैं । पहले विशिष्ट चिद्वान,। दूसरे संस्कृत भापाकों साधारण जाननेवाले किन्तु दर्शनप्रेमी । तीसरे संस्ट्त भाषाकों विल्कुल नहीं जान मेवाले किन्दु दु्शनविधाकी रुचिघाले । पहले प्रकारके अधि- क्वारी तो दिंदी सारके सिवाय ही मूल अन्य देख सकेंगे उनके किए यह सार नहीं है । दूसरे प्रकारके अधिकारीकों मूल अन्य सुगम हो सके ओर तीसरे प्रकारके अधिकारोकों मूल वस्तु मात्र सुगम हो सके इस दुष्टिसि बृत्तिका सार लिखा गया है । योगपिंदिका गाथावद्ध स्थतन्थ्र घ्रन्थ है। उसका बविपय योग ( चारित्र ) है और उस पर परिपूर्ण समये टीका है इस छिप इसका सार लिखनेकी पद्धति भिप्न है। प्रत्येक गाथाका नंबरघार भाधानुसारो अब छिखकर उसके नीचे खुछासेके तीर पर दीकाका उपयोगी अं लेशर सार दिखा गया है । आाशत, संस्कृत फम जाननेपर या विल्कुछ नददीं जानने पर भी ज्ञो लैन योगके निन्नासु हैं उनको न तो वुद्धि पर बोझ दी पढ़े और न चस्तु ही अज्ञात रदे इस ६टिसे अर्थात्‌ यैसे अधिफारिअपको थिं- दोष उपयोगो होसफे इस ययालसे यद सार लिखा गया है । दोनों सार घिशेद उपयोगी दोसके इस रृष्टिसे दमने समय और श्रमकी परषा न फरये सारकों चिद्ोप उपयोगी बनानेकी चष्टा को है, फिर भी रुचिमेद या अन्य किसी कारणसे जिसको कुछ भी कमी ज्ञान एड यद्द दम सूचित फरे या स्पयं उस क- मीफो टूर करनेकी लेटा करे । 'ामार प्रदर्शन--शॉखोंसि छाचार दोनेके धारण पढ़ने, छिखने आदिका मेरा सब काम पराधित हैं, अतपय उत्साह दोमेपर मी यदद कभी सम्भध नहीं फि योग्य सदायफॉफि अमान चर्म घस्तुत पुस्तफ मुझसे तैयार दो पाती । पाटफ ! आए इस




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now