गांधी - गीता अथवा अहिंसा - योग | Gandhi Geeta Athwa Ahimsa Yog
श्रेणी : योग / Yoga
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
3.81 MB
कुल पष्ठ :
162
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
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“स्वराज्य॑ सर्वेदा श्रेयः, काम दोषसमन्वितमू ।
स्वाधीन॑ ससुखं चेव, परराज्यात्त सुशासितात” ॥१॥
“स्व॒राज्य सदा अच्छा है, चाहे दोष युक्त भी क्यो न हो; सुशासन-
युक्त विदेशी राज्य से----स्वाधीन एवं सुखपूर्ण होने के कारण” ॥१०)।
इत्यात्मशासनाधारं,. सिद्धान्त विश्वसस्मतम् ।
श्रख्याप्य. भारतायापि, तद्थ.... युद्धमाचरत् ॥११
इस तरदद द्रात्म-निणंय के विश्वसम्मत सिद्धान्त को. भारतवर्ष के
इसलिए भी ख्यापित करके, उन्होंने उसके लिए युद्ध करना श्रारम्भ
किया ॥ ११)
'झन्ये5पि वहुवः शूरास्तामेव सरखि ययुः ।
फिरोज़शाह. आनन्दु-चालू: श्रींशझुरस्तथा ॥१९।
और भी बहुत से शूरवीर उन्हीं के मार्ग पर अनुसरण करने
लगे---फिरोज शाह, झानन्दचालू' तथा श्री शझरन---१२॥
रमेशचन्द्रदत्तो वे, बौनर्जीश्वन्द्रवकेर: )
घोषो रासविह्दारीश्व, भूपेन्द्रवसुरेव च ॥१३॥।
रमेशचन्द्र दत्त, बौनर्जी, चन्द्रवर्कर, रासविददारी घोष, आर
भूपेन्द्रवसु ॥ १ ३॥
सिन्हा मज़ुमदारशख्र; वासन्ती विदुषी तथा
हसनेमाम इत्याख्या:; सर्वे5पि राष्ट्रनायका: ॥१४॥ '
सिन्हा, मजूमदार, विदुषी बासन्ती, इसन इमाम--इत्यादि सब
राष्ट्रपति हुए ॥ १४)
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