बुन्देलखण्ड के दुर्ग एक एतिहासिक अध्ययन | Bundelkhand Ke Durg Ek Atihashik Adhyaan

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Bundelkhand Ke Durg Ek Atihashik Adhyaan by रामसजीवन - Ramsajeevan

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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3 यरू छनत्सात दल-दुवन दलन हिदुवान ढाल इत रघुकूल प्यार धाँघोर गुर्जर सोगर कछवाहड बीर/ योगी दावा दराज बना गँड सार कदर गराज सब जाति थार्या उद्योग उदाड दीन नि उधानि लहोग/ सब सतत सम पित / तब उर उदार सबको हित मद यमता पियार/ सब करें यँज तब सुखद गरद चिर चह्ली छत्र बाबा / बना सकों न वर्णन लिखन-साहस सु-पत्र छु समर्पत कर कॉपात 5 ताफ़त / यह श्योट लो उपरोक्त कविता का गम्मीर अध्ययन करने के उपरान्त कोई भी ब्यक्ति बुन्देलखण्ड के सन्दर्भ में सूक्ष्म जानकारी प्राप्त कर लेता है इस कविता में बुन्देलखण्ड का सीमांकन उसकी प्राकृत्तिक संरचना और वहाँ के निवासियों के सन्दर्भ में पूर्ण जानकारी प्राप्त कर होता हैं। यहाँ उत्पन्न हुए महत्वपूर्ण ब्यक्तियो का सन्दर्भ भी उसे इस कविता के माध्यम से उपलब्ध हो जाता हैं और वह इस गौरव मयी भूमि के प्रति इतिहास कार की भाँति नत मस्तक हो जाता हैं। सुप्रसिद्ध इतिहास कार एम0० एल0 निगम ने इसके महत्व को स्वीकार किया हैं और उसके इतिहास को अति प्राचीन बतलाया है। यान दा. 0 मियां उं 5०277 दि वी एक एव पर किए रे 01वीं घर वि ० दिए घर 0 दि एप दि वि दर कप मदद मर कं दड दिस मार उजका- 0 एिए दि 0 उडि रा मांड दााव घर लए. एप सदा सात 0 घाव घडह




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