हिंदी सुभाषित | Hindi Subhashit
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
14.69 MB
कुल पष्ठ :
179
श्रेणी :
हमें इस पुस्तक की श्रेणी ज्ञात नहीं है |आप कमेन्ट में श्रेणी सुझा सकते हैं |
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखकों के बारे में अधिक जानकारी :
नारायणप्रसाद 'बेताब' - Narayan Prasad Betab
No Information available about नारायणप्रसाद 'बेताब' - Narayan Prasad Betab
पं. रामरक्खामल - Pt. Ramrakkhamal
No Information available about पं. रामरक्खामल - Pt. Ramrakkhamal
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)४ अनन्य प्र म जिन नेननमें पी बसे आन बसे क्यों आन अबाबील घर करत है सूना देखि मकान प्रीतम छवि नेनन बसी पर छवि कहां समाय भरी सराय रहीम लखि आप पणथिक फिरज।य सरवरके खग एकसे बाढृत प्रीत न घीम पे मरालको मानसर एके ठौर. रहीम अन्याय दंड अवशुश करता ओरही. देत ओरको मार जो पहुंचे नहि रुद्र पे जारत विरहिन मार श्मौर करे अपराध कुइ ओर पाव फल भोग अति विचित्र सगवन्त गति को जग जाने जोग अनुचित संतोष छात्र छत्र--धर जो कहीं कर बेठे सन्तोष बढ़े नहीं दिन दिन घटे विद्याथनका कोष ऋअपधिय सत्य हितहुकी कहिये न तिहि जो नर हाय अवोध ज्यों नकटेको अआरसी होत दिखाये क्रोध वोष भरी न उचारिये यदपि यथारथ बात कहै अन्ध कों आंधरो मान बुरी सतरात
User Reviews
No Reviews | Add Yours...