नर से नारायण | Nar Se Narayan

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Nar Se Narayan  by देशभूषण मुनि - Deshbhushan Muni

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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४ तीथकरों की उत्पसि का कम-- ब काल में २ व्ष सारे तघाठ सहीये बाकी सदे थे सब यूवसनाथ जमवाम शो गये थे और जब काल में २ लड़ आठ महीने बाकी श्हे थे शव आी महावीर स्कामी भोश गये थे | पृपंबंदेच की यु वौशसी सार पूर्व की नयी । अखित साथ की छायु बहत्तर लाख पूर्ष की थी । सम्भथनाथ की स्तठ लाख चूवे थी श्री अभिनंदन नाथ की पचास साख पूवे की थी सुभति नाथ की ४० लाख पूर्व की श्रो पडूम अभु की ३० श्तास्व पूव की श्री सुपार्चनाथ की २० लक पूर्व की शी चल्प्रभु की १० लास्व पूर्थ की न्री पुथ्यावश्त की २. लाश पूरे की शी शतिलनाथि बी एक लाख पूर्व की थी भ यंस-खाथ की ८४ शास चर्च की श्री की बहतर लाख पपे की की ६० श्र कप की की नाथ की ३० शास्व न्पे की सी कम नाथ को दस लाख वर्ष की श्री शांहिसय की 2 कार वर्ष की नमी कु थनाव की ६४ हजार की शी लरहनाअ की चोससी हशार चर की श्री मक्लिनाव की पवन शजार की भी सुनि हत की तीस हार थे को श्री सेमिबाथ की इस हलार की भरी नचिमाथ की ज्क हजार वर्ष की खी पाश्वन्सथ की से अप की और भगभास महावीर श्कामी की २ ब्प की थी । सभी तीचकरों की उत्पत्ति का अमय-- श्रीवूषमदेव के मोक्ष जानेके थाद ५० लाख करोड्सीगर बीत जाने के बाद श्री श्रखित नाय उत्पन्न हुए थे । अलिसम्तथ के मोर जाने के बोव 5८ सारस्व कंसेड सापार मील जाने के वें श्री




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