अभ्यास योग | Abhyas Yog
श्रेणी : योग / Yoga
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
5.54 MB
कुल पष्ठ :
341
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about ज्वाला प्रसाद त्रिपाठी - Jwala Prasad Tripathi
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)(४)
विद्यमान है। पर यद्द तो मानना ही पड़ेगा कि हम लोग
अपने दुर्भाग्य को भी चुप-चाप बैठ कर सह लेते हैं, यह यात
उचित नहीं है । पास्थात्य जातियों की तरद हमारी भोग-
विलास की प्रदुत्ति भी उतनी तीव्र नहीं है। पर यद्द किस
चात का परिणाम है, निर्णय करना कठिन है । इसमें तो
कुछ भी सन्देह' नहीं कि भोग-लालसा फे चस होकर घिपय-
भोग की इच्छा हम भी करते हैं और इसके मिलने पर सुख
का अद्ुमव करते हैं. ।
मन का सन्तीप धास्तव में दैववाद पर ही निर्भर नहीं
रहता। मनुप्य के भीतर जव कोई श्ाकांक्षा जाग उठती है
तो उसे निशत्त करने के केवल दो उपाय हैं। पक तो उप-
मोग्य विपय का भोग करना ओर दूसरे उसके क्षण-स्था यित्व
और असार परिणाम पर विचार करके उससे निवत्त रहना ।
यहद दूसरा मार्ग ही मारतवर्ष के ऋषियों का मार्ग है।
स्थायी रूप से भोग फी वासना इसीसे निवुत्त दो सकती है. ।
पह्लि उपाय से यासना की स्णिक ठप्ति होने पर भी
उसका कोई स्थायी फल नहीं मिलता । इसीलिये भारतीय
ऋषियों का यह उपदेश है कि मनचाहे उपमोग्य वस्तुओं
के पीछे दौड़ कर जीवन को व्यर्थ करने से कोई लाभ नहीं ।
भोग्य चस्तु का यथार्थ-रवरूप समझ कर उससे निवृत्त होना
ही घुद्धिमानी है ।
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