राजपूताने का इतिहास भाग 1 (जिल्द तीसरी) | Rajputane ka Itihas Bhag 1 Vol.3
श्रेणी : इतिहास / History, भारत / India
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
12.03 MB
कुल पष्ठ :
314
श्रेणी :
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about महामहोपाध्याय राय बहादुर पंडित गौरीशंकर हीराचन्द्र ओझा - Mahamahopadhyaya Rai Bahadur Pandit Gaurishankar Hirachand Ojha
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)(४).
राजा अजयपाल को युद्ध में सख्त घायल करने के कारण ग़ुजरातवालों ने
मेवाड़ पर चढ़ाई कर वद्दां अधिकार कर लिया, जिससे सामन्तरसिंदद ने
वागड़ में जाकर नया राज्य स्थापित किया । वहां उसका वि० खसं० १९३६
का शिलालेख मिला है, जिससे सिद्ध है कि डूंगरपुर राज्य का संस्थापक
सामंतर्सिद्द था, न कि माहप ।
सामन्तसिंद के वंशजों ने दूसरे राज्यों की भूमि दवाकर द्यपने राज्य
को चढ़ाने की झपेक्षा विजित भ्रूमि पर ही ध्पना झाधिकार दृढ़ करने का
उद्योग किया, जिससे वे राज्य का विस्तार धिक न कर सके । चांगड़
की रक्ता के लिए उन्हें समय समय पर गुजरात और मालवा के खुलतानों
तथा दिल्ली के मुगल चादशाहों, मेवाड़ के महाराणाओं श्ौर मरदटों एवं
सिंधियों से युद्ध करना पड़ा, जिसमें कई वार राजधानी दाथ से निकल
गई घ्मौर उसपर दूसरों का छाधिकार हो गया । ऐसी घ्ाचस्था में संभवत:
वहां के इतिहास की वुतसी उपयोगी सामग्री नए हो गई, जिससे वहां का
ऋ्रमचद्ध इतिहास नहीं मिलता । प्राचीनता की दृष्टि से राजपूताने के श्मन्य
राज्यों की अपेक्षा डूंगरपुर राज्य का महत्व कम नहीं है । खुदीवे काल
से उस विजित प्रदेश पर, जहां झपने चाहुवल से सामंतर्सिह ने ्धिकार
किया था, उसके वंश का राज्य अब तक विद्यमान है । इतने प्राचीन राज्य
का इतिहास लिखने के लिए प्रचुर सामग्री का प्राप्त होना नितांत छावश्यक
था, अतः मेंने वहाँ की सामग्री पक करना झारंभ किया । इस सामग्री के
निम्नांकित विभाग किये जा सकते ह--
(१) शिलारोख, दानपत्र और सिक्के ।
(२) चढ़वा भाटो तथा राणीमंगों की ख्यातें श्मौर प्राचीन दस्त-
लिखित पुस्तकें: ।
(३) मुसलमानों के लिखे हुए इतिहास, जिनमें डूंगरपुर राज्य
सम्चन्धी उल्लेख हैं । ,्
( ४ ) राजक्मचारियों के यद्दां के संग्रह शरीर बंशावलियां 1
(४) राजकीय पत्रच्यवबद्दार श्नौर सनद ।
User Reviews
No Reviews | Add Yours...