भारत वर्ष का इतिहास भाग 1 | Bharat Varsh Ka Itihas Bhag-1

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Bharat Varsh Ka Itihas Bhag-1 by लाजपतराय - Lala Lajpat Rai

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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(४३ स्वसय मारस्मिक शित्ताकी जो पुस्तकें प्रचलित हैं उस में भी हमारे इतिद्ासका बहुत ही कम भाग हैं । फिर प्रचलित पेतिहासिक पुस्तकॉमें भी हिन्दुधोंके समयका चत्तान्त बहुत दी कम हैं । इसका फल यद्द हैं कि चसैमान रीतिसे थिच्चा पाये हुए; नवयुवकी को 'मपनी ज्ञातीय वातों का बहुत कम '्मौर प्राय: श्रयधार्थ ज्ञान है । चहुतसे दिन्दू नवयुवकॉंको यथार्थ रुपसे यदद जात नहीं कि चेद कितने हैं झौर वर्तमान धर्मा का उनके साथ क्या सम्बन्ध है । बहुतसे रोति-रिवाज हमें इस समय भू घोर ब्यर्ध देख पढ़ते हैं, ्रीर इम उनको सर्वया छोड़ देमेपर उद्यत हैं । परन्तु यदि दमें उनके भरूलक्रा पता हो तो शायद दम उन्हें न सोड़ें, '्रथवा इस प्रकारसे उनका सुधार कर सकें कि वास्तव में थे जिस लामंके लिये वनाये गये थे वह कम न दो । कालके परिवर्तनसे हममें घडतसे दोष था घुसे हैं । परन्तु हमें पूर्ण विश्वास है कि यदि दमारी जातिमें अपने श्तीत इतिदासका यधार्थ शान फैल जाय तो दे दोप झ्पौर वे घुराइयाँ चहुत शीघ्र आर चहुत दृदतक दूर होजायें । पक समय था जब इस देशमें और इस जातिमें पढ़ने * लिख॑निका चहुत रिवाज था 'झौर यहांके लोग प्रायः विद्या- व्यसनी समझे जाते थे; परन्छु इस समय जातिका पक चढ़ा भाग लिखना पढ़ना भी नहीं जानता । + पक समय था. जब यह्द जाति सामान्यतः सस्यवादी थी 1 मिध्या-मापणुको, भूठी साक्षी देनेको, और करट श्ोर छलकों बढ़ी घूणाकी दृष्टिसे देखा जाता था;-या अब यद्द समय झा गया है कि दमारे बहुत से वर्तमान राजकर्मचारी सामान्यतः भारत- चास्ियोंको मूउा समभते हैं । ऐसे दी हमारी घीरता, दमाय




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